विदिशा। मध्य प्रदेश के विदिशा जिले में मौजूद है 300 साल पुराना मुगल कालीन अनूठा बाजार। हालांकि अब स्वरूप बदल चुका है, लेकिन निशानियां अब भी शेष हैं। विदिशा के सिरोंज शहर स्थित तीन मंजिला इस बाजार की खासियत थी कि यहां ऊंटसवार, घुड़सवार और पैदल लोग एक साथ दुकानों में खरीदारी कर लेते थे। यह बाजार आज भी सिरोंज की पहचान है, भले ही अब यहां ऊंट और घोड़े पर सवार हो लोग खरीदारी को नहीं आते। पहले बाजार में करीब 250 दुकानें थीं, जिनकी संख्या अब केवल 70 रह गई हैं।
विदिशा जिला मुख्यालय से 90 किमी दूर स्थित सिरोंज शहर मुगल काल में एक मुख्य व्यापारिक केंद्र और समृद्ध शहर हुआ करता था। सन 1901 में प्रकाशित इम्पीरियल गजेटियर ऑफ इंडिया में सिरोंज के प्राचीन वैभव का उल्लेख भी मिलता है। सिरोंज के इतिहासविद दिनेश गर्ग बताते हैं कि पुराने दौर में यह देश का बड़ा व्यापारिक केंद्र था। यहां की मलमल और छींट के कपड़े निर्यात होते थे
17वीं शताब्दी का मुख्य बाजार था सिरोंज
सत्रहवीं शताब्दी में आगरा से सूरत का राजमार्ग भी सिरोंज होकर ही गुजरता था। इस वजह से सिरोंज में दूर क्षेत्रों के लोग भी खरीदारी के लिए आते थे। उस दौर में पिंडारियों का भी बड़ा आतंक था। क्षेत्र में लूटपाट की घटनाएं होती रहती थीं। स्थानीय व्यवसायियों ने तब संगठित हो यह तीन मंजिला बाजार बनवाया होगा। इसमें भूतल, पहली मंजिल और दूसरी मंजिल पर दुकानें हैं। नीचे के तल को शामिल करते हुए इसे तीन मंजिला बाजार कहा जाता था। समय के साथ सड़कें ऊंची होने के कारण व्यापारियों ने नीचे के तल को तलघर बना लिया। इसके ऊपर की दुकानें अब भी बरकरार हैं।
आइन-ए-अकबरी में है उल्लेख
सिरोंज के इतिहास की गहरी समझ रखने वाले क्षेत्रीय विधायक उमाकांत शर्मा बताते हैं कि इस तीन मंजिला बाजार का उल्लेख अकबर के नवरत्नों में शामिल अबुल फजल की किताब ‘आइन ए अकबरी’ में भी मिलता है। इसके अलावा ऐतिहासिक दस्तावेज असर-ए-मालवा में भी इसका जिक्र है। शर्मा बताते हैं कि पुराने दौर में सिरोंज की आबादी विदिशा शहर से अधिक हुआ करती थी। 1930 के बाद से यहां की आबादी घटती गई।