यूनाइटेड नेशन्स इंटरनेशनल चिल्ड्रेन्स इमरजेंसी फण्ड ने कोक्स बाजार ,बंग्लादेश में आग से प्रभावित रोहिंगयाओ की मदद के लिया हाथ बढाते हुए अपने सोशल एकाउंट पर एक पोस्ट लिखी जिसमे रोहिंगयाओ के विस्थापन का कारण म्यामार की क्रूर हिंसा को बताया ।
यूनिसेफ़ एक एजेंसी है जो कि यूनाइटेड नेशन सिस्टम के अंतर्गत समाज के विस्थापित ,प्रताड़ित व अन्य किसी कारणों से प्रभावित हुए बच्चो की मदद के लिए वर्ष 1946 से काम कर रही है एवम ये संस्था डोनेशन से चलती है जिसका 2/3 हिस्सा सरकारों से व बाकी प्राइवेट डोनर्स से आता है ।
लगभग 192 देशों में ये संस्था क्रियाशील है । सोशल साइट पर यह खबर पड़ते ही अनुकूल व प्रतीकूल दोनो ही तरह की प्रतिक्रिया मिल रही है जिसमे कुछ अंश इस प्रकार है कि यदि यूनिसेफ़ व्यस्थापित रोहिंगयाओ बच्चो के लिये इतनी ही चिंताजनक है तो उन बच्चो को न्यू यॉर्क आदि विकाशील देशों में क्यों नही शरण दिलवाती ।
जब कैलिफ़ोर्निया व ऑस्ट्रेलिया में आग लगी थी तब यूनिसेफ़ कहाँ थी या जब भारत मे कश्मीरो पंडितों का नरसंघार हुआ ओर इस संघार के कारण छोटे छोटे बच्चे अनाथ होकर जानवर की तरह जिंदगी जीने को मजबूर हो गए तब यूनिसेफ़ कहां थी ।
यदि ऐसा है तो वास्तव में किसी भी एजेंसी को किसी एक वर्ग या समुदाय के लिए नही अपितु सर्व समाज के लिए काम करना चाहिए ।
क्योंकि भारत मे आज भी कश्मीरी हिन्दू पंडित अपनी जगहों पर पुनर्स्थापित नही हो सके एवम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी कभी भी इन कश्मीरी हिन्दू पंडितों वाली जैसी घटनाओं को गंभीरता से नही लिया जाता है।