Black Box In Plane : प्लेन में ब्लैक बॉक्स क्या होता है ?

SHUBHAM SHARMA
6 Min Read
Black Box In Plane : प्लेन में ब्लैक बॉक्स क्या होता है ?

Black Box In Plane क्या होता है प्लेन में ब्लैक बॉक्स आइये जानते है. बहुत कम लोगों को यह बात मालूम होगी कि ब्लैक बॉक्स क्या होता है? (Plane Me Black Box Kya Hota Hai) जिन्हें यह मालूम है कि ये क्या चीज है, हो सकता है उन्हें यह न पता हो कि लाल रंग होने के बावजूद ये ब्लैक बॉक्स (Black Box In Plane) क्यों कहलाता है..? दरअसल इसके पीछे कई रोचक कारण छुपे हुए हैं। इन्हें जानकर आपको ताज्जुब तो होगा ही साथ में आपका ज्ञानवर्धन भी होगा…

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मगर आगे बढ़ने से पहले आपको बताना चाहेंगे कि हम आपको ये जानकारी इसलिए देना चाहते हैं क्योंकि बीते हाल ही में एक इंडोनेशियाई प्लेन क्रैश होने से 188 लोगों ने अपनी जान गंवाई थी। इसके बाद गुरुवार को समुद्र में हवाई जहाज का ब्लैक बॉक्स (Black Box) बरामद किया गया। ब्लैक बॉक्स (Black Box) मिलने के बाद कहा जा रहा है कि हवाई जहाज क्रैश कैसे हुआ इसकी जानकारी इसी से मिलेगी। मगर ये जानना जरूरी है कि ब्लैक बॉक्स क्या है जिससे दुर्घटना के कारण का पता चल जाता है।  

दरअसल, ब्लैक बॉक्स (Black Box) या फ्लाइट रिकार्डर की तरह काम करता है। यह विमान की पल-पल की जानकारी रखता है। यह किसी भी विमान में उड़ान के दौरान होने वाली सभी गतिविधियों को बारीकी से रिकॉर्ड करने वाला उपकरण है। यह वायुयान में पिछले हिस्से फिट होता है। बताना चाहेंगे कि विमान में लगा ‘ब्लैक बॉक्स’ (Black Box) क्यों प्लेन क्रैश के बावजूद सही सलामत बच जाता है। दरअसल, यह टाइटेनियम का बना होता है जो काफी मजबूत धातु मानी जाती है। ब्लैक बॉक्स (Black Box) को टाइटेनियम के एक डिब्बे में बंद करके रखा जाता है। इसी कारण अगर ब्लैक बॉक्स (Black Box) काफी ऊंचाई से गिरता है य तो भी उसे नुकसान नहीं पहुंचता। 

ब्लैक बॉक्स का इतिहास

वर्ष 1953-54 में, बढ़ती हवाई दुर्घटनाओं के मद्देनजर, एक ऐसा उपकरण विकसित करने के बारे में सोचा गया, जो विमान दुर्घटनाओं के कारणों की जानकारी दे सके और विमानों को दुर्घटनाओं से बचाने में भी मदद कर सके। इसके लिए ‘ब्लैक बॉक्स’ (Black Box) का आविष्कार किया गया। पहले लाल के कारण इसे ‘रेड एग’ के नाम से जाना जाता था। शुरुआती दिनों में, इसकी भीतरी दीवारें काले रंग की होती थीं। संभवत: इसलिए इसे ‘ब्लैक बॉक्स’ (Black Box) के रूप में जाना जाता है।

ब्लैक बॉक्स में दो अलग बॉक्स होते हैं:

1. फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर: – इस बॉक्स में दिशा, ऊंचाई, ईंधन, गति, हलचल, केबिन का तापमान आदि के बारे में जानकारी होती है। यह बॉक्स इस तरह के लगभग सहित 88 प्रकार के आंकड़ों के बारे में 25 घंटों से अधिक समय की जानकारी रखता है। यह बॉक्स एक घंटे के लिए लगभग 11,000 डिग्री सेल्सियस और 10 घंटे के लिए 260 डिग्री सेल्सियस का तापमान सहन कर सकता है। ये बॉक्स लाल या गुलाबी रंग के होते हैं, ताकि आसानी से मिल सकें।

2. कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर: – यह बॉक्स अंतिम दो घंटों के दौरान हवाई जहाज की आवाज को रिकॉर्ड करता है। यह किसी भी दुर्घटना से पहले विमान की स्थिति का अनुमान लगाने के लिए इंजन, इमरजेंसी अलार्म, केबिन और कॉकपिट की आवाज को रिकॉर्ड करता है।

ब्लैक बॉक्स कैसे काम करता है:

जैसा कि हमने पहले ही बताया है कि ब्लैक बॉक्स (Black Box) एक मजबूत धातु से बना होता है। यह बिना बिजली के 30 दिनों तक काम कर सकता है। यह 11,000 डिग्री सेल्सियस के तापमान एक घंटे तक सहन कर सकता है। यह बॉक्स किसी जगह पर गिरता है, तो यह लगातार 30 दिनों तक प्रत्येक सेकेंड एक बीप की आवाज निकालता है। इससे इसे खोजने में आसानी होती है। इस आवाज को लगभग 2-3 किलोमीटर की दूरी से पहचाना जा सकता है। ब्लैक बॉक्स (Black Box) के संबंध में एक दिलचस्प तथ्य यह है कि यह समुद्र में 14,000 फीट की गहराई से भी संकेत दे सकता है। हालांकि, एक ब्लैक बॉक्स (Black Box) से किसी भी विमान दुर्घटना की स्पष्ट तस्वीर नहीं दिखाई देती है। कई बार तो यह मिलता भी नहीं है, लेकिन एक बात तय है कि यह विमान दुर्घटनाओं की जांच में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

कैसे खोजते हैं ब्लैक बॉक्स

ब्लैक बॉक्स (Black Box) 30 दिनो तक बिना विद्युत के काम कर सकता है। जब यह विमान से अलग होता है तो प्रत्येक सेकंड एक बीप की आवाज/तरंग निकालता है। यह तरंग 30 दिनों तक निकलती है। जिसे खोजी दल 2 से 3 किलोमीटर की परिधि में आसानी से खोज सकते हैं। 15000 फीट गहरे समुंदर में से भी यह तरंगें भेजता रहता है। 

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Shubham Sharma – Indian Journalist & Media Personality | Shubham Sharma is a renowned Indian journalist and media personality. He is the Director of Khabar Arena Media & Network Pvt. Ltd. and the Founder of Khabar Satta, a leading news website established in 2017. With extensive experience in digital journalism, he has made a significant impact in the Indian media industry.