तृणमूल सांसद मोइत्रा की पूर्व चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया पर टिप्पणी को लेकर लोकसभा में हंगामा

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खबर सत्ता डेस्क, कार्यालय संवाददाता
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नई दिल्ली। तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा द्वारा भारत के एक पूर्व चीफ जस्टिस के संदर्भ में की गई टिप्पणी से सोमवार को लोकसभा में हंगामा खड़ा हो गया। सत्तापक्ष के सदस्यों ने मोइत्रा पर संसदीय नियमों का उल्लंघन करने का आरोप लगाते हुए उनकी टिप्पणियों को कार्यवाही से हटाने की मांग की।

मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने टिप्पणियों को ‘शर्मनाक ‘ बताया

सदन की अध्यक्षता कर रहे आरएसपी सांसद एनके प्रेमचंद्रन ने कहा कि अगर उनकी टिप्पणियां आपत्तिजनक पाई गई तो उनकी टिप्पणी को कार्यवाही से बाहर कर दिया जाएगा। केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने पूर्व चीफ जस्टिस के खिलाफ टिप्पणियों को ‘शर्मनाक ‘ बताया है हालांकि मोइत्रा ने किसी का नाम नहीं लिया था।

मोइत्रा ने कहा- न्यायपालिका और मीडिया ने देश को निराश किया

राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान मोइत्रा ने सरकार पर अपनी बात कहने के लिए नफरत और कट्टरता का सहारा लेने का आरोप लगाया और कहा कि न्यायपालिका और मीडिया ने भी देश निराश किया।

तृणमूल कांग्रेस की सांसद ने कहा- देश में इस समय अघोषित आपातकाल जैसे हालात हैं

उन्होंने कहा कि देश में इस समय अघोषित आपातकाल जैसे हालात हैं। सरकार अपने खिलाफ आवाज उठाने वालों को आतंकवादी बता देती है। भले ही वे छात्र, किसान या शाहीन बाग की वृद्ध महिलाएं हों। उन्होंने यह भी पूछा कि नागरिकता संशोधन कानून के नियम बनाने में गृह मंत्रालय बार-बार समय सीमा क्यों बढ़ा रहा है।

मोइत्रा ने कहा- आलोचना करने वालों को देशद्रोही ठहरा कर भारत को पुलिस राज्य बना दिया

मोइत्रा ने बार-बार कायरों और कायरता जैसे शब्दों का इस्तेमाल करते हुए सरकार पर सत्ता और अधिकारों की आड़ लेने का आरोप लगाया। सरकार ने आलोचना करने वालों को देशद्रोही ठहरा कर भारत को एक तरह से पुलिस राज्य बना दिया है।

देशव्यापी लॉकडाउन लागू कर लाखों लोगों को गंभीर संकट में डाल दिया

उन्होंने कहा कि कोरोना काल में सरकार ने देशव्यापी लॉकडाउन लागू कर लाखों लोगों को गंभीर संकट में डाल दिया। लोग सैकड़ों किमी चलकर अपने घर पहुंचे। उन्होंने कहा कि तीन कृषि कानूनों का किसान विरोध करते हुए आंदोलन कर रहे हैं। इन कानूनों को खत्म किया जाए।

मोदी सरकार किसानों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध: भाजपा

बहस में भाग लेते हुए, भाजपा सदस्य वीरेंद्र कुमार ने कहा कि मोदी सरकार किसानों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है। वह विभिन्न उपायों के जरिए किसानों की आय दोगुना करने की कोशिश कर रही है। कृषि कानूनों को लेकर किसानों के एक वर्ग में कुछ चिंता थी जिसे सरकार चर्चा के माध्यम से दूर करने की कोशिश कर रही है। अब तक 11-12 दौर की वार्ता हुई है। जिस समय यह चर्चा हो रही थी सदन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और कांग्रेस नेता राहुल गांधी सहित अन्य लोग मौजूद थे।

वीरेंद्र कुमार ने कहा- सरकार एमएसपी को बढ़ाने की कोशिश कर रही है

वीरेंद्र कुमार ने कहा कि सरकार अब तक किसानों को 1,13,000 लाख करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता दे चुकी है। साथ ही विभिन्न कृषि उत्पादों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को बढ़ाने की कोशिश कर रही है।

भाजपा सदस्य ने कहा- लाल किले में हिंसा करने के लिए उकसाने वालों को नेता नहीं कहा जा सकता

भाजपा सदस्य ने कहा कि जिन लोगों ने लाल किले में हिंसा करने के लिए लोगों को उकसाया या भारतीय वैक्सीन की कारगरता पर संदेह किया, उन्हें नेता नहीं कहा जा सकता। कुमार ने प्रवासी मजदूरों के कल्याण, श्रम कानूनों में सुधार, महिलाओं के सशक्तिकरण और 2022 तक सभी बेघरों को घर उपलब्ध कराने के लिए मोदी सरकार की पहल का उल्लेख किया।

द्रमुक सांसद बालू ने कहा- तमिल को आधिकारिक भाषा बनाया जाए

द्रमुक के टीआर बालू ने अपने भाषण में सरकार पर राज्य की शक्तियों के हस्तांतरण का आरोप लगाया और यह मांग की कि तमिल को एक आधिकारिक भाषा बनाया जाए। उन्होंने सरकार से तीनों कृषि कानूनों का विरोध करने वाले किसान संगठनों की चिंताओं को दूर करने के लिए कहा। साथ ही इसे झूठी प्रतिष्ठा और अहंकार से न नहीं जोड़ने की बात भी कही।

मोइत्रा के खिलाफ विशेषाधिकार नोटिस पर विचार कर रही सरकार

चीफ जस्टिस पर आरोप लगाने वाली तृणमूल सांसद महुआ मोइत्रा के खिलाफ सरकार विशेषाधिकार नोटिस पर विचार कर रही है। सरकार के सूत्रों ने कहा कि मोइत्रा की टिप्पणी को हल्के में नहीं लिया जाएगा। उस पर कार्रवाई की जाएगी।

मोइत्रा की टिप्पणी नियमों के खिलाफ थी

सरकार के एक वरिष्ठ मंत्री ने कहा कि उनकी टिप्पणी नियमों के खिलाफ थी। अनुच्छेद 121 में संसद में चर्चा पर प्रतिबंध के नियम हैं। यह प्रावधान करता है कि संसद में सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के किसी जज के आचरण के संबंध में कोई चर्चा नहीं की जाएगी।

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