TIRUPATI LADDU: आंध्र प्रदेश में तिरुपति प्रसादम को लेकर एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। 19 सितंबर को, तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) ने दावा किया कि तिरुमाला वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में प्रसादम के रूप में वितरित किए जाने वाले लड्डू के लिए उपयोग किए गए घी में “गोमांस की चर्बी” मिली है। इस विवाद ने राजनीतिक और धार्मिक चर्चा का माहौल गरमा दिया है। आइए, इस पूरे विवाद को विस्तार से समझते हैं।
टीडीपी का बड़ा आरोप: घी में मिलावट
टीडीपी ने कहा है कि तिरुपति लड्डू में उपयोग किए गए घी में जानवरों की चर्बी मिली है। पार्टी प्रवक्ता अनम वेंकट रमना रेड्डी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह दावा किया, जिसमें गुजरात स्थित एनडीडीबी काल्फ लिमिटेड द्वारा की गई प्रयोगशाला परीक्षण रिपोर्ट का हवाला दिया गया। इस रिपोर्ट के अनुसार, घी के नमूने में “बीफ़ टैलो” यानी गोमांस की चर्बी की मौजूदगी पाई गई है।
यह पहली बार नहीं है जब तिरुपति मंदिर के प्रसाद की गुणवत्ता पर सवाल उठे हैं। इससे पहले भी तेलुगु देशम पार्टी ने लड्डू की गुणवत्ता को लेकर सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। हालांकि, इस बार यह मामला और भी संवेदनशील है, क्योंकि इसमें धार्मिक भावना का मुद्दा भी शामिल है।
पिछली सरकार पर आरोप: घटिया सामग्री का इस्तेमाल
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने पिछली वाईएसआरसीपी सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि उनके शासनकाल में प्रसादम में घटिया सामग्री का इस्तेमाल हुआ था। नायडू ने यह भी कहा कि वाईएसआरसीपी सरकार के दौरान लड्डू बनाने के लिए पशु वसा का उपयोग किया गया था, जिससे मंदिर की प्रतिष्ठा को ठेस पहुँची है। नायडू के अनुसार, मौजूदा सरकार ने इस तरह की गड़बड़ियों को ठीक कर दिया है और अब तिरुमाला मंदिर में शुद्ध घी का उपयोग किया जा रहा है।
वाईएसआरसीपी की प्रतिक्रिया: आरोप निराधार
वाईएसआरसीपी के वरिष्ठ नेताओं ने नायडू के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। टीटीडी के पूर्व अध्यक्ष वाईवी सुब्बा रेड्डी ने इन आरोपों को “दुर्भावनापूर्ण” करार दिया और कहा कि नायडू केवल राजनीतिक लाभ लेने के लिए इस तरह के आधारहीन आरोप लगा रहे हैं। उन्होंने नायडू के इस बयान को अनुचित और देवता की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने वाला बताया।
सुब्बा रेड्डी ने यहां तक कहा कि वह नायडू को तिरुमाला वेंकटेश्वर स्वामी के सामने शपथ लेने की चुनौती देते हैं। उन्होंने कहा, “यदि नायडू को अपने आरोपों पर भरोसा है, तो उन्हें मेरे साथ मंदिर में आकर शपथ लेनी चाहिए कि उनके द्वारा लगाए गए आरोप सत्य हैं।”
कर्नाटक मिल्क फेडरेशन का बयान
इस विवाद के बीच, कर्नाटक मिल्क फेडरेशन (KMF) ने भी अपनी सफाई पेश की। केएमएफ ने कहा कि तिरुमाला मंदिर में नंदिनी घी की आपूर्ति केवल राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद की गई है, न कि वाईएसआरसीपी सरकार के दौरान। फेडरेशन ने स्पष्ट किया कि उनके घी की गुणवत्ता पर कोई सवाल नहीं उठाया जा सकता, और यह आरोप निहित स्वार्थों के तहत लगाए जा रहे हैं।
मंदिर प्रशासन की सफाई
तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) के अधिकारियों ने इस पूरे विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि मंदिर में घी की आपूर्ति ई-टेंडर प्रक्रिया के माध्यम से होती है, जिसमें गुणवत्ता और कीमत दोनों का ध्यान रखा जाता है। टीटीडी के पूर्व कार्यकारी अधिकारी एवी धर्म रेड्डी ने कहा कि मंदिर केवल उन्हीं आपूर्तिकर्ताओं से घी खरीदता है जो इस प्रक्रिया के दोहरे परीक्षण को पास करते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि केएमएफ पिछले 20 वर्षों में केवल एक बार घी की आपूर्ति कर सका है और उसमें भी समय पर खेप पहुंचाने में विफल रहा।
लैब रिपोर्ट और सैंपल की जांच
टीडीपी ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में जिस प्रयोगशाला रिपोर्ट का हवाला दिया, उसके अनुसार घी में लार्ड (सूअर की चर्बी) और मछली के तेल की मौजूदगी भी पाई गई है। टीडीपी ने कहा कि यह रिपोर्ट 9 जुलाई को सैंपल मिलने के बाद 16 जुलाई को जारी की गई थी। हालांकि, इस रिपोर्ट की कोई आधिकारिक पुष्टि राज्य सरकार या टीटीडी की ओर से नहीं की गई है।
विवाद का राजनीतिकरण
तिरुपति प्रसादम को लेकर उठे इस विवाद ने न केवल धार्मिक बल्कि राजनीतिक रंग भी ले लिया है। वाईएसआरसीपी और टीडीपी के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। जहां एक ओर नायडू ने इसे पिछली सरकार की गंभीर चूक बताया, वहीं दूसरी ओर वाईएसआरसीपी ने इसे साजिश करार दिया।
सीबीआई जांच की मांग
इस विवाद पर कांग्रेस ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। राज्य कांग्रेस प्रमुख वाईएस शर्मिला ने इस पूरे मामले की सीबीआई से जांच कराने की मांग की है। उन्होंने कहा कि नायडू के आरोपों ने करोड़ों हिंदुओं की भावनाओं को आहत किया है और इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए ताकि सच्चाई सामने आ सके।