कुंडली बॉर्डर पर प्रदर्शनकारियों की मनमानी, कहा- ‘सड़क पर कब्जा करेंगे, प्लॉट भी काटेंगे’

Khabar Satta
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खबर सत्ता डेस्क, कार्यालय संवाददाता
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सोनीपत। कृषि कानून विरोधी आंदोलन को कुंडली बॉर्डर पर 105 दिन बीत चुके हैं। कड़ाके की ठंड के बाद अब यहां बैठे आंदोलनकारियों को गर्मी सताने लगी है। इसे देखते हुए आंदोलनकारियों ने धरनास्थल पर पक्के निर्माण शुरू कर दिए हैं। प्लास्टिक व कपड़ों की तिरपाल से बने तंबू में बढ़ती गर्मी और धूप से होने वाली परेशानी को देखते हुए रहने के लिए ईंटों से निर्माण कार्य शुरू किया गया है। इसके लिए पंजाब से ट्रैक्टर-ट्रालियों में ईंटें भरकर लाईं गईं हैं। कुंडली बॉर्डर पर जीटी रोड का जाम करके धरना दे रहे आंदोलनकारियों ने गर्मी से बचने के लिए तरह-तरह के उपाय शुरू कर दिए हैं। एसी ट्राली व एसी तंबुओं के अलावा अब रोड पर ही पक्का निर्माण भी शुरू किया गया है। कुंडली में जीटी रोड पर पानीपत-दिल्ली लेन पर मुख्य मंच से थोड़ा आगे ईंट व सीमेंट से कमरों का निर्माण शुरू किया गया है। अभी कमरों की नींव बनाने का काम शुरू हुआ है। इन कमरों के ऊपर सरकंडे व पराली से छत बनाई जाएगी, ताकि अंदर ठंडक रहे।

ईंट से कमरों का निर्माण करने वालों ने बताया कि यहां पर आंदोलनकारियों के लिए रैन बसेरे की तर्ज पर कमरे बनाए जा रहे हैं। चारों ओर से ईंट और सीमेंट की मोटी दीवार और ऊपर पराली की छत होने से गर्मी से बचाव होगा। इसके अलावा इन कमरों में लगाने के लिए कूलरों की भी व्यवस्था की जा रही है। पंजाब के किसान जत्थेबंदी के नेता मनजीत राय ने कहा कि जो किसान मोर्चा के सेवादार हैं, उन्होंने एलान कर दिया है कि आप पक्के मकान बनाओ, एसी-कूलर हम भिजवा देंगे। उनकी जत्थेबंदी मकान का निर्माण करवा रही है।

उन्होंने चेतावनी दी कि यदि किसी में हिम्मत है तो इसे रोक कर दिखाए। ‘यहीं कब्जा करेंगे, प्लाट भी काटेंगे’ मुख्य मंच से आंदोलनकारियों को संबोधित करते हुए मनजीत ने कहा कि इस कानून से जितना हमारा नुकसान होगा, उसकी भरपाई यहीं से करके जाएंगे। हमारा जितना नुकसान होगा, उतना हम यहां कब्जा करके बैठ जाएंगे और प्लाट भी काटेंगे। पुलिस ने काम रोकने का प्रयास किया, लेकिन उन्होंने साफ तौर पर एलान कर दिया कि उनके निर्माण कार्य को रुकवाने का प्रयास न किया जाए।

उन्होंने कहा कि पुलिस वाले पूछते हैं कि पक्के निर्माण, ट्यूबवेल लगवाने की मंजूरी किस से ली है। इसका जवाब है कि ये तीनों कृषि कानून बनाने के लिए किससे मंजूरी ली गई है। यदि इसका जवाब सरकार देगी तो हम भी जवाब दे देंगे। जैसे सरकार ने इस कानून की मंजूरी नहीं ली, वैसे ही हम भी यहां रहने के लिए मंजूरी नहीं लेंगे और जैसे हमारा दिल करेगा, वैसे ही रहेंगे।

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