शोपियां मुठभेड़: पुलिस ने एक सैन्य अधिकारी, दो अन्य के खिलाफ आरोप-पत्र दायर किया

Khabar Satta
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खबर सत्ता डेस्क, कार्यालय संवाददाता
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श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर पुलिस ने इस साल जुलाई में शोपियां में कथित च्च्फर्जीज्ज् मुठभेड़ मामले में सेना के एक अधिकारी समेत तीन लोगों के खिलाफ आरोप-पत्र दायर किया है। उस मुठभेड़ में तीन नागरिकों की मौत हो गई थी। अधिकारियों ने रविवार को यह जानकारी दी। अधिकारियों ने कहा कि 1,400 पृष्ठ का आरोप पत्र शनिवार को प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत, शोपियां में दायर किया गया।

उन्होंने कहा कि आरोप पत्र में सेना की 62 राष्ट्रीय राइफल्स के कैप्टन भूपिंदर, बिलाल अहमद लोन और तबीश नजीर को कथित फर्जी मुठभेड़ में उनकी भूमिका के लिए आरोपी बनाया गया है। मुठभेड़ में मारे गए तीनों लोग राजौरी जिले के रहने वाले थे। पुलिस के एक प्रवक्ता ने बताया कि अदालत ने एक आदेश जारी किया है, जिसमें कैप्टन भूपिंदर उर्फ मेजर बशीर खान के मुकदमे के लिए कानून की संबंधित धाराओं के तहत सेना को एक विकल्प दिया गया है। प्रवक्ता ने बताया कि जांच के दौरान सामने आया कि आरोपी कैप्टन और नागरिकों लोन और नजीर ने तीन नागरिकों के अपहरण की साजिश रची और मुठभेड़ को अंजाम दिया।

उन्होंने कहा,” जांच के दौरान दो वाहनों और 62 आरआर के कैप्टन सिंह की सर्विस राइफल समेत सभी परिस्थितिजन्य साक्ष्यों को जब्त किया गया है।” प्रवक्ता ने बताया कि लोन कानून की संबंधित धारा के तहत एक सरकारी गवाह बन गया है और उसका बयान मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज किया गया है। उन्होंने बताया कि जांच के दौरान 49 गवाहों के बयान दर्ज किये गये।

सेना ने शुक्रवार को कहा था कि उसने जुलाई में शोपियां जिले में अम्शीपुरा मुठभेड़ मामले में शामिल उसके दो लोगों के खिलाफ साक्ष्यों का सारांश पूरा कर लिया है। सेना के अधिकारियों ने कहा था कि औपचारिकताएं पूरी होने के बाद कोर्ट मार्शल हो सकता है। इससे पहले इस मामले में सेना ने कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी का आदेश दिया था जब सोशल मीडिया पर खबर आईं कि सेना के जवानों ने एक मुठभेड़ में तीन युवकों को आतंकवादी बताकर मार गिराया है।

कोर्ट ऑफ इंक्वायरी की जांच सितंबर में पूरी हो गई थी। इसमें प्रारंभिक तौर पर पाया था कि 18 जुलाई की मुठभेड़ के दौरान इन जवानों ने सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (अफ्सपा) के तहत मिली ‘शक्तियों’ के नियमों का उल्लंघन किया है। इसके बाद सेना ने अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की थी।

इस घटनाक्रम से जुड़े अधिकारियों ने कहा कि सेना के दो जवानों को अफ्सपा के तहत निहित शक्तियों के उल्लंघन के लिए कोर्ट मार्शल का सामना करना पड़ सकता है।

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