आज अमर उजाला, नवभारत टाइम्स, दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर और हिन्दुस्तान ने फ्रंट पेज पर कोई विज्ञापन नहीं लिया है
अयोध्या विवाद आखिरकार सुलझ गया है। लंबे समय से अदालती कार्यवाही में उलझी विवादित जमीन के ‘असली मालिक’ की पहचान सुप्रीम कोर्ट ने कर दी है। खास बात यह है कि इस ऐतिहासिक फैसले को सभी पक्षों द्वारा स्वीकार किया गया है। फैसला सामने आने के बाद जिस तरह का सौहार्दपूर्ण माहौल देश में देखने को मिला, वह अपने आप में अहम है। इस अहम दिन की मीडिया ने भी खास तैयारी की थी, जिसके परिणाम आज दिल्ली से प्रकाशित होने वाले प्रमुख अखबारों में नजर आ रहे हैं। आमतौर पर महत्वपूर्ण अवसरों पर अखबारों के फ्रंट पेज विज्ञापनों से पटे रहते हैं। कंपनियों को भी ऐसे ही मौकों की तलाश रहती है, लेकिन अयोध्या के ऐतिहासिक फैसले को विस्तार से पाठकों तक पहुंचाने के लिए अमर उजाला, नवभारत टाइम्स, दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर और हिन्दुस्तान ने फ्रंट पेज पर कोई विज्ञापन नहीं लिया है, जो काबिल-ए-तारीफ है। हालांकि, शेष अहम खबरों के लिए बनाये गए दूसरे फ्रंट पेज पर जरूर कुछ अखबारों में विज्ञापन हैं।
शुरुआत करते हैं हिन्दुस्तान से। लीड को एक तरह से मास्टहेड से ही शुरू कर दिया गया है। यानी अखबार के ‘लोगो’ के बैकग्राउंड में अयोध्या की बड़ी फोटो है, जिसके नीचे ‘राम मंदिर का रास्ता साफ’ शीर्षक तले खबर को लगाया गया है। फैसले से जुड़ी चार प्रमुख बातों को अलग से रेखांकित किया गया है, ताकि एक ही नजर में पाठकों को फैसला समझ आ जाए। हिंदू-मुस्लिम पक्षों की प्रतिक्रिया, पीएम मोदी सहित प्रमुख हस्तियों के बयान के साथ फैसले पर टिकी यूपी सरकार की निगाहों को भी पेज पर रखा गया है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद कंट्रोल रूम में बैठकर सुरक्षा संबंधी तैयारियों की समीक्षा करते रहे। एंकर में हेमंत श्रीवास्तव और आदर्श शुक्ल की बाईलाइन है, जिन्होंने फैसले के बाद अयोध्या के हालातों पर अपनी कलम चलाई है। इसके अलावा, पांचवें पेज को भी फ्रंट पेज बनाया गया है, जिसकी लीड भी अयोध्या है। ‘मस्जिद के लिए मुनासिब भूमि मिले’ शीर्षक के साथ लीड में मुस्लिम पक्ष से जुड़े फैसले को विस्तार से समझाया गया है। श्रद्धालुओं का पहला जत्था करतारपुर रवाना, इस समाचार को भी पेज पर जगह दी गई है।
अब रुख करते हैं अमर उजाला का। फ्रंट पेज की शुरुआत 30 साल पुराने फोटो से की गई है। हालांकि, इसे मास्टहेड से लगाने के बजाय मास्टहेड को छोटा कर दिया गया है। इस फोटो ने पेज को इसलिए भी खास बना दिया है, क्योंकि 30 वर्ष पूर्व 9 नवंबर को ही रामजन्मभूमि का शिलान्यास हुआ था और 9 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया। लीड का शीर्षक है ‘रामलला विराजमान’ और इसमें सभी महत्वपूर्ण बातों को अलग से रेखांकित किया गया है।
‘अमर उजाला’ ने ‘हिन्दुस्तान’ से इतर लीड में फैसला सुनाने वाले जजों की फोटो को भी जगह दी है। इसके साथ ही दोनों पक्षों सहित प्रमुख हस्तियों की प्रतिक्रियाओं को भी रखा गया है। पांचवें पेज पर बने दूसरे फ्रंट पेज के टॉप बॉक्स पर अयोध्या के फैसले पर पीएम मोदी के बयान को सजाया गया है। जिसका शीर्षक है ‘आज ही बर्लिन की दीवार गिरी थी, यह तारीख साथ बढ़ने की सीख’। इसके साथ ही अयोध्या पर पाकिस्तान की बौखलाहट भी पेज पर है। पाक के विदेशमंत्री कुरैशी का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला मोदी सरकार की कट्टरता को झलकाता है। हालांकि, भारत ने भी कुरैशी को करार जवाब दिया है। लीड करतारपुर रवाना हुआ श्रद्धालुओं का पहला जत्था है। इसके अलावा, पेज पर महाराष्ट्र का सियासी संग्राम, फरीदाबाद में परिवार की हत्या और एंकर में दिल्ली के प्रदूषण को लगाया गया है।
नवभारत टाइम्स ने ‘मंदिर वहीं, मस्जिद नई’ शीर्षक के साथ लीड अयोध्या फैसले को लगाया है। लीड में सद्भावना की मिसाल दर्शाती दो तस्वीरें हैं, साथ ही सोशल मीडिया पर फैसले से जुड़ी प्रतिक्रियाओं को भी जगह मिली है। इसके अलावा, फैसले के सियासी और सामाजिक असर को भी समझाने का खूबसूरत प्रयास किया गया है। सबसे नीचे अहम सवालों पर कोर्ट के जवाब हैं।
दूसरे फ्रंट पेज की लीड भी अयोध्या है, जिसे आकर्षक शीर्षक ‘मंदिर निर्माण के वास्ते, कोर्ट ने तय किए रास्ते’ के साथ फोटो सहित रखा गया है। करतारपुर गलियारे के उद्घाटन और अयोध्या पर पाकिस्तानी बौखलाहट को पेज पर बड़ी जगह मिली है। साथ ही फैसले पर मुस्लिम पक्ष की अलग-अलग राय से भी पाठकों को रूबरू कराया गया है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने जहां फैसले के खिलाफ याचिका दायर करने के संकेत दिए हैं, वहीं, सुन्नी वक्फ बोर्ड ने फैसले को चुनौती देने से इनकार किया है।
वहीं, दैनिक जागरण की बात करें तो खूबसूरत इलस्ट्रेशन के साथ लीड को सजाया गया है। इसमें भगवान राम और प्रस्तावित मंदिर नजर आ रहे हैं। शीर्षक ‘श्रीराम’ तले खबर को विस्तार से पाठकों के समक्ष रखा गया है, लेकिन अच्छी बात यह है कि बड़े-बड़े पैरा के बजाय पॉइंटर को तवज्जो दी गई है। इसी में प्रमुख हस्तियों की प्रतिक्रिया भी शामिल है।
दूसरे फ्रंट पेज पर भी अयोध्या ही लीड है। खबर का शीर्षक ‘मंदिर वहीं बनेगा’ है, जो हिंदू पक्ष की सालों पुरानी इच्छा को दर्शाता है। फैसले पर मुस्लिम पक्ष में मतभेद और वरिष्ठ वकील परासरन की दलीलों को भी पेज पर रखा गया है। परासरन ने अदालत के समक्ष जो दलीलें रखी थीं, उन्हीं के आधार पर कोर्ट ने फैसला सुनाया है। एंकर में करतारपुर गलियारे का उद्घाटन है, जिसे आकर्षक हेडलाइन ’72 साल की अरदास पूरी, करतारपुर साहिब के हुए दर्शन’ के साथ मोदी-मनमोहन की फोटो सहित सजाया गया है।
आखिर में दैनिक भास्कर को देखें तो अखबार ने आज ‘रामलला ही विराजमान’ शीर्षक के साथ लीड को सजाया है। यह शीर्षक ‘अमर उजाला’ से काफी मिलता जुलता है। फैसले की 4 बड़ी बातों को अलग से रेखांकित किया गया है। इसके अलावा, फैसला सुनाने वाले जजों की प्रतिक्रिया को फोटो के साथ रखा गया है।
दैनिक भास्कर ने थोड़ा आगे बढ़ते हुए यह भी बताने का प्रयास किया है कि कितने कारीगर लगाने से कितने वर्षों में मंदिर बनकर तैयार हो जाएगा। लीड में फोटो के बजाय प्रस्तावित राम मंदिर का इलस्ट्रेशन लगाया गया है। इसके साथ ही एएसआई की उस रिपोर्ट को भी पाठकों के समक्ष रखा गया है, जिसने फैसले में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
आज का ‘किंग’ कौन?
1: आज सबसे पहले बात कलात्मक शीर्षक की। प्रयोग सभी अखबारों ने किये हैं, लेकिन ताज ‘नवभारत टाइम्स’ को पहनाया जा सकता है। पहले पेज की हेडलाइन है ‘मंदिर वहीं, मस्जिद नई’ जो दोनों पक्षों का प्रतिनिधित्व करती है। कम शब्दों में पूरी बात कहने का इससे अच्छा उदाहरण नहीं हो सकता। दूसरे पेज की हेडिंग ‘मंदिर निर्माण के वास्ते, कोर्ट ने तय किये रास्ते’ तुकबंदी दर्शाती है।
2: लेआउट के लिहाज से ‘दैनिक भास्कर’ बेहतर नजर आ रहा है। अखबार का फ्रंट पेज काफी खुला-खुला है।
3: खबरों की प्रस्तुति की बात करें तो सभी अखबारों ने बेहतरीन काम किया है, लेकिन ‘अमर उजाला’ थोड़ा आगे है। लीड की प्रस्तुति काफी आकर्षक दिखाई दे रही है।