एक हिन्दू सन्यासी की हत्या की सार्वजनिक घोषणा पर RSS एवम VHP की चुप्पी का क्या है कारण -दिव्य अग्रवाल

SHUBHAM SHARMA
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भारत संविधान से चलने वाला देश है इस देश मे अनेक धर्म व जाती है जो अपनी अपनी प्रथाओं के हिसाब से जीवन यापन करती है एवम बढ़ते हुए समय व आधुनिकरण के साथ सभी धर्म के अनुयायी अपनी उन प्रथाओं को प्रतिबंधित करते आए है जो सभ्य समाज के लिए उचित नही है आज इसी ओर डासना मंदिर के महंत यति नरसिंघानन्द सरस्वती जी ने इस्लाम के उन विचारों पर प्रश्न उठाया जो समाज मे हिंसा को जन्म देती है इसी संबंध में सन 1986 में दिल्ली के मैट्रोपोलिटिन मजिस्ट्रेट जेड़एस लोहाट ने एक जजमेंट पास कर लिखा था कि इस्लाम सभ्यता में कुछ आयतों के सूक्ष्म अध्ययन से यह स्पष्ट होता है कि ये आयतें बहुत हानिकारक है ।

हाल ही में वसीम रिजवी ने माननीय सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल कर उन आयतों पर रोक लगाने की मांग की थी जिनसे कट्टरपंथ को बढ़ावा मिल रहा है माननीय न्यायालय ने वसीम रिजवी की इस याचिका को स्वीकार भी कर लिया है जिसकी सुनवाई आगामी दिनाँक 12 अप्रैल को होनी है अब विषय ये है कि यदि हम सभी समाज मे अहिंसा व आपसी सदभाव चाहते है तो इसमें हर्ज किया है परंतु ये बात दिल्ली विधायक अमानत उल्लाह खां को न केवल अच्छी लगी बल्कि उन्होंने इस्लाम धर्म गुरुओं के साथ मिलकर देश के सभी मुसलमानों से कहा कि सभी लोग शुक्रवार की नमाज के बाद अपने अपने क्षेत्र के जिलाधिकारी या पुलिस से यति महाराज की गिरफ्तारी की मांग करें ।

उसके पश्चात बहूत सी जगह पर ऐसा हुआ मुस्लिम समाज बड़ी संख्या में सड़क पर उतरा पर प्रश्न ये है कि उस भीड़ में सार्वजनिक रूप से यति महाराज के लिए सर तन से जुदा ,तन सर से जुदा के नारे लगाए गए ।

अब सवाल यह है कि क्या ये एक भय व्याप्त करने का तरीका है क्योंकि उस भीड़ में नाबालिग बच्चो से लेकर वृद्ध व्यक्ति तक थे क्या ये देश मे आरजकता फैलाने का तरीका नही है भारत एक संवैधानिक देश है यदि हम किसी के विचारों से सहमत नही तो कानून का रास्ता अपना सकते है पर सरकारें क्या कर रही है अमानत उल्लाह खां स्वम् दिल्ली सरकार का हिस्सा है एक संवैधानिक पद पर है पर मुस्लिम धर्म गुरुओं के साथ इस तरह का आव्हान करना सार्वजनिक रूप से आवाहित भीड़ द्वारा हिन्दू साधु यति महाराज की हत्या की घोषणा करना कहां तक उचित है ।

लगता है विधायक जी अपने उस बयान को सच साबित करना चाहते है जिसमे उन्होंने कहा था कि भारत मे यदि शरीयत कानून होता तो यति महाराज की जीभ व गर्दन काट दी जाती इसका मतलब यति महाराज ने कट्टरपंथ के जिन विचारों पर प्रश्न उठाये थे क्या वो सही है ।

अब दूसरा प्रश्न ये उठता है कि जब विगत कुछ वर्षों से साधुओं की निर्मम हत्याएं हो रही है तो हिन्दू धर्म की रक्षा के वाहक व हिन्दू सभ्यता के सबसे बड़े संगठन राष्ट्रीय स्वम् सेवक संघ व विश्व हिंदू परिषद अपने धर्म साधुओं की रक्षा हेतु कोई सार्थक कदम क्यों नही उठाते जब बीजेपी सत्ता में नही थी एवम इस तरह की घटनाएं होती थी तो ये दोनों संगठन खुले मन से अपने धर्म व साधुओं की सुरक्षा के लिए सार्थक प्रयास करती थी ।

यहाँ तक कि सरकारों द्वारा भी उन उलेमाओं व कट्टरपंथी सोच के लोगो के विरुद्ध कोई ठोस कारीवाहि नही दिखती जो खुले तौर पर यह कह रहे हैं कि मुसलमान अभी चूप है यदि सड़क पर आ गया तो तुम्हारी इट से ईंट बजा देगा ।

इतना ही नही कुछ कट्टरपंथी धर्म गुरु तो हिन्दू सभ्यता के लिए बहूत ही अपमान जनक शब्द उपयोग कर रहे हैं । सरकार को तुरंत ये सब रोकना चाहिये क्योंकि इसी तरह की घटनाएं दिल्ली दंगो में भी हुई थी जहां छोटे छोटे बच्चे अपराध करते हुए नजर आए थे । यदि इस कट्टरपंती सोच सर तन से जुदा ,तन सर से जुदा को आज रोका नही गया तो भविष्य में भारत का संविधान कैसे सुरक्षित रहेगा ये बड़ा प्रश्न है।

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Khabar Satta:- Shubham Sharma is an Indian Journalist and Media personality. He is the Director of the Khabar Arena Media & Network Private Limited , an Indian media conglomerate, and founded Khabar Satta News Website in 2017.
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