रिजर्व बैंक के कदमों से महामारी के आर्थिक असर को सीमित करने में मिली मदद: शक्तिकांत दास

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खबर सत्ता डेस्क, कार्यालय संवाददाता
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नई दिल्ली। वित्तीय स्थिरता से समझौता किए बिना विकास को गति देने की दिशा में रिजर्व बैंक हरसंभव कदम उठाने के लिए तैयार है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शनिवार को यह बात कही। 39वें नानी पालकीवाला स्मृति व्याख्यान में दास ने कहा कि महामारी के दौर में पहला लक्ष्य आर्थिक गतिविधियों को समर्थन देना था।

अगर हम पीछे देखें, तो स्पष्ट है कि आरबीआइ की नीतियों ने महामारी के कारण अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव को सीमित किया। दास ने लोन मोरेटोरियम और वर्किंग कैपिटल फाइनेंसिंग में सहूलियत समेत आरबीआइ के विभिन्न कदमों का जिक्र किया। उन्होंने घरेलू वित्तीय बाजार को अचानक पूंजी निवेश में कमी और पूंजी निकासी जैसी परिस्थितियों से निपटने के लिए सजग रहने का सुझाव भी दिया।

आरबीआइ की आगे की नीतियों पर दास ने कहा, ‘मैं स्पष्ट रूप से दोहराना चाहूंगा कि जरूरत पड़ने पर रिजर्व बैंक और भी कदम उठाने को तैयार है। साथ ही हम वित्तीय स्थिरता को लेकर भी पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं।’ वित्तीय स्थिरता कायम रखने का जिक्र करते हुए केंद्रीय बैंक के गवर्नर ने इस बात पर जोर दिया कि बैंकों को बफर के तौर पर पहले से कुछ संसाधनों को तैयार रखना चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘हमने सभी बैंकों और गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) को सुझाव दिया है कि अपनी बैलेंस शीट, एसेट क्वालिटी, लिक्विडिटी पर कोविड-19 के कारण पड़े असर का मूल्यांकन करें और इनसे निपटने के लिए सभी संभव कदमों पर विचार करें। इनमें कैपिटल प्लानिंग, कैपिटल रेजिंग और लिक्विडिटी प्लानिंग जैसे कदम शामिल हो सकते हैं।’ सावधानी बरतते हुए सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के कई बड़े बैंकों ने पूंजी जुटाने का काम कर लिया है और कुछ ने इस दिशा में कदम बढ़ाया है। इस प्रक्रिया को और गति देने की जरूरत है।

आरबीआइ गवर्नर ने कहा कि हाल में विभिन्न देशों में महामारी के दौरान देखा गया है कि बैंक, नॉन बैंक, फाइनेंशियल मार्केट और पेमेंट सिस्टम वित्तीय स्थिरता से जुड़े मसले के केंद्र में रहे हैं। वित्तीय स्थिरता को व्यापक नजरिये से समझने की जरूरत है। दास ने कहा, ‘बैंकों और एनबीएफसी में रिस्क मैनेजमेंट की व्यवस्था को समय के साथ उन्नत होना चाहिए, क्योंकि टेक्नोलॉजी बहुत व्यापक है। इस व्यवस्था को अंतरराष्ट्रीय मानकों के भी अनुरूप होना चाहिए।’

दास ने कहा है कि वित्तीय स्थिरिता एक सार्वजनिक चीज है और सभी संबंधित पक्षों को इसकी मजबूती को बरकरार की जरूरत है। रिजर्व बैंक ऐसा अनुकूल वातावरण उपलब्ध कराने का प्रयास कर रहा है, जिससे संबंधित इकाइयां नए अवसरों का दोहन करने के लिए तैयार हो सकें और साथ ही वित्तीय स्थिरता को कायम और संरक्षित भी रख सकें। सभी विनियमित इकाइयों को आंतरिक रक्षा तंत्र भी मजबूत करना होगा।

सबसे कठिन रहा बीता साल

गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि बीता साल मानव समाज के लिए सबसे कठिन समय में से रहा है। इस महामारी ने स्वास्थ्य और आíथक क्षेत्र पर अपने असर से दुनियाभर के देशों में इस संबंध में खामियों को सामने लाकर रख दिया। जरूरी है कि महामारी के दौरान और उसके बाद फाइनेंशियल सिस्टम के प्रबंधन के लिए एक ठोस और समझदारी वाला रुख अपनाया जाए।

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