केरल में राहुल गांधी के सामने दोहरी चुनौती, जानें किन समस्‍याओं का सामना कर रहे हैं कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष

Khabar Satta
By
Khabar Satta
खबर सत्ता डेस्क, कार्यालय संवाददाता
7 Min Read

कोट्टायम। केरल में एलडीएफ सरकार के खिलाफ बड़े-बड़े मुद्दों की भरमार होते हुए भी कांग्रेस की सत्ता में वापसी कराने के लिए पार्टी के स्टार प्रचारक व पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को दोहरी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। राहुल एक तरफ माकपा के ताकतवर चुनाव अभियान का मुकाबला कर रहे हैं तो दूसरी तरफ गुटबाजी के साये में घिरी सूबे की कांग्रेस की चुनावी नैया संभाल रहे हैं। अलबत्ता, वह अपने अथक प्रयास से कांग्रेस के बिखरे चुनाव अभियान को ट्रैक पर लाते नजर आ रहे हैं, मगर सत्ता में आने के लिए कुछ और जोर लगाना होगा।

वामपंथी दलों ने बदली रणनीति

कांग्रेस के चुनाव अभियान के ट्रैक पर लौटने से बढ़ने वाले खतरों को भांपते हुए वामपंथी दलों ने भी राहुल गांधी पर सियासी हमले की शुरुआत कर दी है और जवाब में पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष भी एलडीएफ की बखिया उधेड़ने में आक्रामकता दिखा रहे हैं। टिकट बंटवारे से उपजे भारी असंतोष के साथ वरिष्ठ नेताओं की खुली गुटबाजी ने सूबे में कांग्रेस के चुनाव अभियान पर गंभीर ग्रहण लगा दिया था।

चुनाव अभियान में राहुल ने डाली जान

वरिष्ठ नेता पूर्व मुख्यमंत्री ओमान चांडी अकेले पार्टी के विश्वसनीय चेहरे के तौर पर मोर्चा संभाल रहे थे। ऐसे में कांग्रेस के चुनाव अभियान में उत्साह की कमी साफ दिख रही थी। इसी दौरान चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों में एलडीएफ के सत्ता में लौटने के अनुमानों ने कांग्रेस में अंदरूनी मायूसी का माहौल बढ़ा दिया था, लेकिन राहुल गांधी ने बीते कुछ दिनों में अपनी चुनावी रैलियों, नुक्कड़ सभाओं, रोड शो और युवा छात्रों से सीधा संवाद कर अचानक पार्टी के चुनाव अभियान में करंट ला दिया है।

एलडीएफ ने शुरू किए हमले

विरोधी एलडीएफ के लोग भी अनौपचारिक चर्चाओं में मान रहे कि सूबे में राहुल की राजनीतिक लोकप्रियता और ब्रांड वैल्यू किसी अन्य राष्ट्रीय नेता के मुकाबले ज्यादा है। महिलाओं के प्रति आदर और स्नेह दर्शाने के साथ, छात्रों संग बेहिचक संवाद, रोड-शो के दौरान गर्मजोशी और कालेज की छात्राओं को सुरक्षा के लिए मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग के गुर देने में अपने व्यक्तित्व की सहजता दिखा राहुल इसमें और इजाफा ही कर रहे हैं। एलडीएफ ने तभी राहुल पर निजी हमले की शुरुआत कर दी है।

कांग्रेस को गुटबाजी पर घेर रही माकपा

पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष से अच्छे संबंध रखने वाले भाकपा महासचिव डी. राजा ने छात्राओं को मार्शल आर्ट सिखाने पर शुक्रवार को कटाक्ष करते हुए कहा था कि छात्राओं को गुर देने से पहले राहुल को केरल में अपने नेताओं को सुरक्षा की सीख देनी चाहिए। राजा का साफ इशारा कांग्रेस की गुटबाजी की ओर था।

कलह थमने का दे रहे संदेश

गुटबाजी का ही असर है कि राहुल ने सूबे में अपनी चुनावी सभाओं की संख्या में इजाफा कर दिया है और पार्टी नेताओं के बीच संतुलन बनाने के लिए वह सभी गुटों के नेताओं को अपने अभियान के दौरान कहीं ना कहीं साथ लाकर घर की कलह थम जाने का संदेश दे रहे हैं। टिकट नहीं मिलने पर महिला कांग्रेस की अध्यक्ष लतिका सुभाष का विरोध में मुंडन कराकर पार्टी छोड़ना, वरिष्ठ नेता के सुधारकन की रमेश चेन्निथेला और एआसीसी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल पर सार्वजनिक हमले जैसे प्रकरणों ने सूबे में कांग्रेस के चुनाव अभियान की नैया को मझधार में ला खड़ा किया था।

असंतुष्ट नेताओं से एकजुटता की अपील

राहुल के चुनाव अभियानों से अब इस डांवाडोल नैया को पतवार तो मिल गई है, पर यह कांग्रेस सत्ता के किनारे तक पहुंचएगी इस निष्कर्ष पर पहुंचना जल्दबाजी होगी। शायद तभी पार्टी के सबसे वरिष्ठ नेता एके एंटनी और ओमान चांडी ने असंतुष्ट नेताओं से हाईकमान के फैसले के बाद नाराजगी को किनारे करने की अपील भी की है, ताकि राहुल की मेहनत पर पानी ना फिर जाए। इन दोनों के मुताबिक राहुल ने कांग्रेस के अभियान को अच्छा माहौल दे दिया है और जीत के लिए अब कांग्रेस नेताओं को एलडीएफ की चौतरफा घेरेबंदी करनी चाहिए।

मछुआरों को किया गोलबंद

लोकसभा में केरल का प्रतिनिधित्व कर रहे राहुल गांधी के लिए भी यह चुनाव कई मायनों में बेहद महत्वपूर्ण है। सूबे में जीत से एक ओर उनकी राजनीतिक क्षमता पर सवाल उठाने वाले आलोचकों को जवाब मिल सकता है तो दूसरी तरफ पांच राज्यों के चुनाव के बाद कांग्रेस के नए अध्यक्ष के चुनाव में उनकी दावेदारी को मजबूती मिलेगी। राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस के राजनीतिक संघर्ष के लिए भी केरल में जीत तात्कालिक टानिक हो सकती है। इसीलिए राहुल अपने चुनाव अभियान में एलडीएफ सरकार को विशेष रूप से बड़े घोटालों पर घेर रहे हैं।

राहुल लगातार बोल रहे हैं सरकार पर हमला

चाहे सोने की तस्करी हो या अमेरिकी कंपनी के साथ डी सी फिशिंग का कांट्रैक्ट। कोच्चि से इरनाकुलम के बाद शनिवार को कोट्टायम से इडुक्की तक राहुल ने एलडीएफ सरकार को घेरते हुए कहा कि रंगे हाथ उनकी चोरी पकड़ी गई है। मछुआरा वर्ग उन्हें माफ नहीं करेगा। अपने आक्रामक अभियानों के जरिये राहुल ने मछुआरा वर्ग को एलडीएफ के खिलाफ लगभग गोलबंद तो कर ही दिया है।

कांटे की लड़ाई की ओर केरल

इसी तरह राज्य लोकसेवा आयोग में हेर-फेर कर बडी संख्या में माकपा समर्थकों को नौकरी देने के गंभीर आरोपों को भी राहुल युवाओं के बीच बड़ा मुद्दा बनाने में कामयाब होते दिख रहे हैं। चुनावी मुकाबला अब धीरे-धीरे कांटे की लड़ाई की तरफ बढ़ रहा है पर माकपा और मुख्यमंत्री पिनराई विजयन के प्रचार अभियान और संसाधनों की तुलना में कांग्रेस अभी संघर्ष की स्थिति में ही नजर आ रही है।

Share This Article
Follow:
खबर सत्ता डेस्क, कार्यालय संवाददाता
Leave a Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *