जानें क्‍यों रैलियों के बजाय रोड शो बन रहा चुनावी अभियान का केंद्र

Khabar Satta
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खबर सत्ता डेस्क, कार्यालय संवाददाता
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कोलकाता। वर्ष 2021 के चुनाव में केंद्र बने सिंगुर में सुबह के 11 बजे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह स्थानीय भाजपा उम्मीदवार के साथ लगभग एक घंटे का रोड शो करते हैं और हेलीकाप्टर से सीधे दोमजूर पहुंचते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बड़े पोस्टर के साथ रथ तैयार है। जय श्रीराम, जय जय श्रीराम के लग रहे नारों के बीच रथ पर सवार होते हैं और दोनों ओर सड़कों पर उमड़ी भीड़ और अपनी अपनी छतों से झांक रही महिलाओं व बच्चों के बीच से रथ लगभग डेढ़ किलोमीटर का सफर तय करता है। सामने हर युवा अपने-अपने मोबाइल में इसे कैद कर रहा होता है।

रोड शो का चुनावी प्रभाव और जुड़ाव ज्‍यादा

मतदाताओं पर शाह व उम्मीदवार फूलों की वर्षा कर रहे होते हैं। एक बालकनी में खड़ी वृद्धा फूल फेंकने का इशारा करती हैं और शाह उनकी ओर एक कमल का फूल फेंकते हैं। वह उसे उठाकर अपने पति को देती हैं। लगभग एक घंटे के दौरान शाह सिर्फ अंत में बोलते हैं- भारत माता की जय और जय श्रीराम। जोशो-खरोश के साथ भीड़ से उत्साहित करने वाली प्रतिक्रिया दिखती है और मुस्कुराते हुए शाह नीचे उतर आते हैं। इसके बाद दो अन्य स्थानों पर भी रोड शो करते हैं। फिर दिल्ली लौट जाते हैं।

जेपी नड्डा ने एक दिन में तीन रोड शो किए, कोई रैली नहीं

दूसरे दिन स्थानीय भाजपा की ओर से विशिष्ट नेताओं का कार्यक्रम आता है। इसमें बताया जाता है कि भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा उत्तर बंगाल में एक दिन में तीन रोड शो करेंगे। कोई रैली नहीं। सूत्रों की मानी जाए तो आने वाले वक्त में इन बड़े नेताओं का रोड शो बढ़ेगा और रैलियां कम होंगी। चौथे चरण के करीब पहुंचे बंगाल में चुनाव अभियान के तरीके में थोड़ा बदलाव हुआ है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता के अनुसार शुरू में इसकी जरूरत थी कि ममता सरकार की नीतियों को उजागर किया जाए। तुष्टीकरण और भ्रष्टाचार के मुद्दों पर उन्हें घेरा जाए। आम जनता तक सच्चाई पहुंचे कि ममता सरकार की नीतियां उन्हें खोखला कर रही हैं, ताकि जनता उस पर विचार करे।

रोड शो में समय और पैसे दोनों की बचत

अब वक्त है लोगों की प्रतिक्रिया देखने का। इस नेता ने कहा कि यह काम अब भी स्थानीय स्तर पर होता रहेगा। प्रधानमंत्री की रैलियों में और रुक-रुक कर शाह व नड्डा की रैलियों में भी यह जारी रहेगा। लेकिन रोड शो को प्रमुखता दी जाएगी। दरअसल संपर्क स्थापित करने में ज्यादा प्रभावी होने के साथ-साथ रोड शो में समय और पैसे दोनों की बचत हो रही है। किसी भी बड़ी रैली का आयोजन करना मशक्कत का काम होता है। बड़े नेताओं के रोड शो में उतरने पर माहौल भी तैयार होता है और मोहल्ले की गलियों से निकलने वाले रथ के कारण स्थानीय लोगों में सुरक्षा की भावना भी उपजती है।

शाह, नड्डा और स्थानीय स्टारों के ज्यादा होंगे रोड शो

पार्टी नेता ने कहा, रथयात्रा तो भाजपा की संस्कृति से जुड़ी है। वह एक लंबी यात्रा होती है, लेकिन रोड शो का प्रभाव भी कुछ वैसा ही होता है। बंगाल में भाजपा के शीर्ष केंद्रीय नेतृत्व के अलावा भी यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि प्रदेश के जाने-पहचाने चेहरे रोड शो करें। चूंकि बंगाल में बहुत लंबा अभियान चलना है इसीलिए वक्त की जरूरत को देखते हुए इसमें समय-समय पर कुछ बदलाव भी किए जाएंगे।

अगर दूसरे दलों की बात हो तो तृणमूल कांग्रेस भी रोड शो कर रही है। लेकिन चर्चा में भाजपा है। वैसे जनसंपर्क का डोर-टू-डोर तरीका बंगाल में पुराना है। यह अब भी जारी है। पदयात्रा भी अहम है। पांव में चोट होने के बावजूद ममता बनर्जी ने नंदीग्राम में व्हीलचेयर पर पदयात्रा की थी। लेकिन भाजपा ने रोड शो को ज्यादा आकर्षक बना दिया है।

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