उत्तराखंड में ग्लेशियर टूटने से भारी तबाही, 150 से ज्यादा लापता, सेना, एसडीआरएफ; आइटीबीपी का रेस्क्यू ऑपरेशन

Khabar Satta
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खबर सत्ता डेस्क, कार्यालय संवाददाता
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देहरादून। उत्तराखंड के चमोली जिले में रविवार सुबह ग्लेशियर टूटने से भारी तबाही मच गई है। नंदादेवी बायोस्फियर क्षेत्र में आई इस आपदा से ऋषिगंगा पर बने करीब 13 मेगावाट के ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट और धौलीगंगा पर बने 520 मेगावाट के तपोवन विष्णुगाड हाइड्रो प्रोजेक्ट ध्वस्त हो गए। इनमें कार्य कर रहे श्रमिकों व कार्मिकों समेत करीब 150 लोग लापता हैं, जबकि सात व्यक्तियों के शव बरामद किए गए हैं। लापता में पांच स्थानीय लोग भी शामिल हैं। इस प्राकृतिक घटना के सही-सही कारणों का पता विशेषज्ञों की रिपोर्ट मिलने के बाद ही चलेगा, लेकिन फौरी तौर पर इसका कारण वहां झील बनने का अंदेशा जताया जा रहा है।

प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक लापता व्यक्तियों की संख्या अनुमान से अधिक हो सकती है। बचाव एवं राहत कार्य जारी हैं। दो सुरंगों में फंसे 50 में से 15 श्रमिकों को सकुशल रेस्क्यू कर लिया गया। इस त्रासदी में भारत-चीन सीमा को जोड़ने वाले पुल बह गया। इससे करीब आधा दर्जन गांवों का संपर्क कट गया है। इधर, धौलीगंगा, ऋषिगंगा और अलकनंदा में मलबे के साथ आए उफान के चलते चमोली से लेकर बिजनौर तक हड़कंप रहा। प्रशासन ने फौरी कदम उठाते हुए गंगा व सहायक नदियों के किनारे बस्तियां खाली कराकर अलर्ट कर दिया। एहतियातन टिहरी बांध से पानी रोक दिया गया, साथ ही बदरीनाथ हाईवे समेत कई मार्गों पर आवाजाही रोक दी गई। दोपहर बाद स्थिति कुछ सामान्य होने पर यातायात सुचारू किया गया।

रैणी गांव के समीप ग्लेशियर टूटने की यह घटना रविवार सुबह नौ से दस बजे के बीच बताई जा रही है। घटना की जानकारी मिलते ही सरकारी मशीनरी अलर्ट मोड पर आ गई। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत देहरादून में अपने कार्यक्रम रद कर तुरंत घटना स्थल के लिए रवाना हुए। उन्होंने प्रभावित क्षेत्रों तपोवन और रैणी का दौरा किया। इसके बाद दून लौटकर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पत्रकारों से बातचीत में घटना की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट में 35 लोग कार्य कर रहे थे। इनमें दो पुलिस कर्मचारी भी शामिल हैं। ये सभी लापता है। इस प्रोजेक्ट से पांच किमी दूर डाउन स्ट्रीम में स्थित निर्माणाधीन तपोवन विष्णुगाड प्रोजेक्ट में सुबह 176 श्रमिक ड्यूटी के लिए निकले थे। इनमें से दो सुरंगों में तकरीबन 50 श्रमिक फंस गए थे। एक सुरंग में रहे 15 श्रमिकों के साथ संपर्क स्थापित हो गया था। इन्हें रेस्क्यू कर लिया गया है। दूसरी सुरंग में तकरीबन 30 से 35 श्रमिक फंसे होने की जानकारी मिली है। यह सुरंग 250 मीटर लंबी है। इसमें काफी गाद भरी है। बचाव दल इस सुरंग के भीतर करीब 150 मीटर तक पहुंच चुका है। अभी तक फंसे हुए इन व्यक्तियों से संपर्क नहीं हो पाया है।

17 गांवों का संपर्क कटा

उन्होंने बताया कि कुछ व्यक्तियों को रेस्क्यू किया गया है। सेना, एसडीआरएफ, आइटीबीपी की टीम मौके पर मौजूद हैं। एनडीआरएफ की टीम जौलीग्रांट से रवाना हो चुकी है। सेना, पैरा मिलिट्री व राज्य सरकार के चिकित्सक मौके पर प्रभावितों को स्वास्थ्य सेवाएं दे रहे हैं। रैंणी गांव के पास मोटर पुल व पांच झूला पुल क्षतिग्रस्त हुए हैं। इससे 17 गांवों का संपर्क कट गया है। इनमें सात गांवों में आबादी सर्दियों में निचले क्षेत्रों में शिफ्ट हो जाती है। शेष 11 गांवों में राहत व बचाव कार्य के लिए सेना के तीन और वायुसेना का एक हेलीकाप्टर तैनात है। आइटीबीपी महीडांडा, उत्तरकाशी को भी एलर्ट किया गया है। गौचर आइटीबीपी से 90 जवान घटना स्थल के लिए रवाना हो चुके हैं।

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