UP Politics: भगवान परशुराम के नाम पर सियासी पासा, विपक्ष ने उन्हें राजनीतिक रण में उतारा इसी बीच लखनऊ की डॉ ऋचा राजपूत का एक वीडियो तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसने डॉ रिचा UP में चल रही भगवान परशुराम पर सियासत पर बहुत कुछ कहा है जो आप निचे देख सकते है.
अयोध्या में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के जन्म स्थल पर भूमि पूजन हो जाने के पश्चात उत्तर प्रदेश में पिछले कुछ वर्षो से सत्ताच्युत विपक्षी दलों में खलबली मच गई है। दरअसल उन्हें भावी चुनावों में एक दल विशेष के पक्ष में हिंदू वोटों का ध्रुवीकरण होता दिखाई दे रहा है। अत: उनमें बिखराव कर सत्ता हासिल करने के लिए उन्होंने भगवान परशुराम को राजनीतिक रण में उतारा है।
परशुराम ब्राह्मण हैं और सात चिरजीवी विभूतियों-अश्वत्थामा, बलि, व्यास, हनुमान, विभीषण, कृपाचार्य, परशुराम में से एक हैं। वह भगवान विष्णु के छठे अवतार हैं, जिन्होंने 21 बार दुष्ट राजाओं का संहार किया। अब सपा ने उनकी विशाल मूíत लगवाने की घोषणा की तो बसपा ने भी उनकी उससे बड़ी मूर्ति लगवाने और उनके नाम पर अस्पताल आदि बनवाने का एलान किया।
वहीं देश और काल के अनुसार स्वयं को बदलने वाली कांग्रेस ने भी उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री पद के लिए ब्राह्मण नाम तय करने की सोची थी। अब सभी ब्राह्मण वोटों को लुभाने का प्रयास कर रहे हैं, जिससे कि चुनावों में हिंदू मत एकत्र न हो सकें। दुख की बात है कि इसी क्रम में उन्होंने बीते दिनों अपराधियों के एनकाउंटरों में भी जाति का मुद्दा ढूंढ लिया।
बहरहाल उन्हें यह ध्यान रखना चाहिए कि हिंदू समाज ने भगवानों की जाति तो क्या उनकी योनि तक पर कभी ध्यान नहीं दिया। उनमें केवल भगवान के प्रति आस्था और श्रद्धा ही प्रधान रही। शूकर तो एक हेय योनिजात पशु है, लेकिन भगवान विष्णु ने पृथ्वी का उद्धार करने के लिए इस योनि में अवतार लिया तो वह पूज्य है। श्रीराम क्षत्रिय थे। उनकी अर्चना सभी बढ़-चढ़कर करते हैं। श्रीकृष्ण की जाति कौन देखता या पूछता है? वह सबके द्वारा अर्चनीय हैं। ऐसे में परशुराम जी की मूíत आदि लगाने से ब्राह्मण रीङोंगे, विपक्षी दलों द्वारा यह सोच रखना स्वयं को धोखा देने के समान है। ब्राह्मण बुद्धिमान और विवेकशील कौम है और वह ‘वोट बैंक’ कभी नहीं हो सकता। वह अपनी सूझबूझ और बुद्धि लगाकर मतदान करता है।
इसके साथ इन दलों को यह भी सोचना होगा कि परशुराम जी ने पृथ्वी पर अच्छा शासन तो स्थापित किया, किंतु वह खुद सत्ता से दूर रहे। उन्होंने छीनी हुई समस्त भूमि/राज्य तत्समय के वंचितों और सात्विक लोगों को दिया, जो प्राय: ब्राrाण थे। रामचरितमानस में उन्होंने स्वयं यह बात कही है-भुजबल भूमि भूप बिनु कीन्ही। बिपुल बार महिदेवन्ह दीन्ही।। अर्थात अपनी भुजाओं के बल से मैंने पृथ्वी को राजाओं से रहित कर दिया और बहुत बार उसे ब्राह्मणों को दे डाला। उन्होंने भीष्म और कर्ण जैसे क्षत्रियों को शिक्षा दी और दशरथ तथा जनक जैसे क्षत्रिय सु-शासकों का दमन नहीं किया। वह जातिवाद से ऊपर थे। अत: कुछ राजनीतिक दलों का यह परशुरामीय पासा निर्थक ही रहेगा।
उत्तर प्रदेश की सियासत में इस वक्त जो मुद्दा सबसे ज्यादा गरमाया हुआ है, वो ब्राह्मण वोट बैंक है. विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद से उत्तर प्रदेश की सियासत में ब्राह्मण वोट बैंक को लेकर खींचतान जारी है. समाजवादी पार्टी और बहुजन समाजवादी पार्टी के बीच भगवान परशुराम की प्रतिमा को लेकर ही विवाद पैदा हो गया है. इसी बीच सत्ताधारी पार्टी बीजेपी ने अपनी चाल चल दी है. भगवान परशुराम की प्रतिमा पर ध्यान न देते हुए बीजेपी ने प्रदेश के ब्राह्मणों के जीवन की सुरक्षा को मुद्दा बनाया है.
BJP ब्राह्मणों का ‘इलाज’ भी कराएगी, बीमा भी देगी
BJP के MLC उमेश द्विवेदी ने दावा किया है कि अब पार्टी प्रदेश के गरीब ‘ब्राह्मणों’ का बीमा कराएगी. उमेश द्विवेदी का कहना है कि इसके लिए पार्टी प्रस्ताव तैयार कर रही है. बीमा का प्रस्ताव लगभग तैयार भी हो चुका है और जल्दी ही मुख्यमंत्री के सामने रखा जाएगा. जीवन बीमा ही नहीं बीजेपी ब्राह्मणों के लिए मेडिकल इंश्योरेंस की भी स्कीम लेकर आने वाली है, जिससे उन्हें इलाज में काफी सहूलियत मिलेगी.
विपक्ष पर बीजेपी का ‘बीमा वार’
यूपी में ब्राह्मणों को लेकर सियासत की चाल हर दल चल रहा है. इसी बीच सरकार की ओर से ब्राह्मण वोट बैंक पक्का करने के लिए ये नया मिशन लाने की तैयारी हो चुकी है. एमएलसी उमेश द्विवेदी के मुताबिक सभी राजनीतिक पार्टियां ब्राह्मणों के नाम पर सिर्फ सियासत ही कर रही हैं. ऐसे में बीजेपी अब जीवन बीमा और मेडिकल इंश्योरेंस के जरिये ब्राह्मणों की स्थिति सुधारने का काम करेगी, जिस तरह देश भर में बीजेपी ने सवर्णों को आरक्षण दिया है.
SP-BSP और कांग्रेस खेल चुकी हैं ‘ब्राह्मण कार्ड’
विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद से ही प्रदेश में करीब 12 फीसदी के ब्राह्मण वोट बैंक पर सभी पार्टियों की नजर है. सबसे पहले समाजवादी पार्टी ने इसे मुद्दा बनाया और भगवान परशुराम की विशालकाय मूर्ति लगाने का ऐलान कर दिया. इसी बीच बीएसपी ने भी अपने संगठन में ब्राह्मणों को तरजीह दी और प्रतिमा पॉलिटिक्स में कूदते हुए और बड़ी मूर्ति लगाने की बात कही. कांग्रेस ने भी मौका देखकर योगी सरकार को परशुराम जयंती की छुट्टी रद्द करने पर घेर लिया. ऐसे में अब बीजेपी ने बीमा कार्ड से ये सारे अस्त्र ध्वस्त करने की तैयारी कर ली है.