चायनीज CCTV रखते हैं दिल्ली पर नजर, कई देशों में सुरक्षा कारणों से ब्लैकलिस्टेड है यह कम्पनी

SHUBHAM SHARMA
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Shubham Sharma – Indian Journalist & Media Personality | Shubham Sharma is a renowned Indian journalist and media personality. He is the Director of Khabar Arena...
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CCTV कंपनी हिकविजन चीनी सेना के नियंत्रण में है। अमेरिका में ट्रम्प प्रशासन ने राष्ट्रीय सुरक्षा कारणों से पिछले साल ही इस कंपनी को ब्लैकलिस्ट सूची में रखा है। लेकिन दिल्ली में केजरीवाल की AAP सरकार ने इस कंपनी को ठेका देकर…

AAP सरकार द्वारा लगाए गए लगभग 1.4 लाख चीनी CCTV कैमरों पर राजधानी में विवाद छिड़ गया है। यह विवाद हाल ही में गलवान घाटी में जारी गतिरोध के बीच सामने आया है।

इस गतिरोध के बाद केंद्र सरकार ने चीनी परियोजनाओं और संसाधनों के प्रयोग को भारतीय परियोजनाओं से दूर रखने के लिए कई अहम फैसले लिए हैं। सोमवार (जून 29, 2020) को, भारत ने 59, ज्यादातर चीनी, मोबाइल एप्स पर प्रतिबंध लगा दिया, जिसमें टिकटॉक और वी-चैट भी शामिल है।

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार द्वारा सीसीटीवी कैमरे स्थापित किए गए हैं, जो चीनी कंपनी हिकविजन (Hikvision) द्वारा बनाए गए हैं।

विशेषज्ञों का कहना है कि इस कम्पनी के मोबाइल एप्लिकेशन को हजारों लोगों ने अपने फोन पर डाउनलोड किया है और इससे उनकी निजता और सुरक्षा को बड़ा खतरा है। बीजेपी ने इस मुद्दे पर AAP सरकार पर निशाना साधा और तत्काल इसे सुधारने की बात की है।

गौरतलब है कि अमेरिका में ट्रम्प प्रशासन ने भी हाल ही में कहा है कि चीनी कंपनियों, जिसमें टेलीकॉम उपकरण दिग्गज हुवाई टेक्नोलॉजिज और CCTV कंपनी हिकविजन शामिल हैं, चीनी सेना के नियंत्रण और स्वामित्व में है। वॉशिंगटन ने हुवाई और हिकविजन को राष्ट्रीय सुरक्षा कारणों से पिछले साल ही ब्लैकलिस्ट में रखा है।

रिपोर्ट्स के अनुसार, साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ अनुज अग्रवाल ने कहा कि अकेले सीसीटीवी कैमरों से कोई खतरा नहीं है, लेकिन जब लोग अपने मोबाइल फोन पर लाइव फीड देखने के लिए हिकविजन के iVMS-4500 ऐप को डाउनलोड करते हैं, तो यह एक खतरा बन जाता है।

अग्रवाल ने कहा – “ऐप को किसी भी कंपनी के अधिकारी या सरकार या चीन में सेना द्वारा आसानी से एक्सेस किया जा सकता है। वर्तमान में चल रहे तनाव की स्थिति में, वे यह भी देख सकते हैं कि दिल्ली की सड़कों पर क्या हो रहा है। इन कैमरों में ऐसे सेंध को रोकने के लिए कोई सुरक्षा फीचर नहीं हैं। वे काफी कमजोर हैं।”

विशेषज्ञों का कहना है कि हिकविजन के सीसीटीवी कैमरे विभिन्न सरकारी और सरकारी परिसरों में लगाए गए हैं। ऐसे में एक ओर जहाँ लोग यह देखकर खुश हैं कि वे अपने मोबाइल फोन पर ही लाइव फ़ीड प्राप्त कर रहे हैं तो दूसरी ओर वास्तविकता यह है कि अब चिंता का एक कारण यह लाइव फ़ीड ही हैं, जो कि तकनीकी खामियों की वजह से चीन तक पहुँच जाता है।

दरअसल चुनावों से पहले दिल्ली सरकार ने दिल्ली में सुरक्षा को लेकर शुरुआती चरण में 1 लाख 40 हजार सीसीटीवी कैमरे दिल्ली में लगवाने का ठेका दिया था। दूसरे चरण में भी 1 लाख 40 हजार कैमरे लगाने का ठेका दिया गया था।

दिल्ली सरकार ने बीईएल कंपनी को 320 करोड़ रुपये में दिल्ली में 1 लाख 40 हजार सीसीटीवी कैमरे लगाने का ठेका दिया था, जिसमें कैमरे की मेंटेनेंस भी शामिल थी।

पिछले साल जुलाई में, AAP ने लोक निर्माण विभाग (PWD) को निर्देश दिया कि वह अपना चुनावी वादा निभाने के लिए दिल्ली और आसपास के आवासीय और व्यावसायिक परिसरों में स्थापना के लिए 1.5 लाख सीसीटीवी कैमरे शीघ्रता से खरीदें। यह 1.4 लाख ‘Eyes in the sky’ के अलावा था जिसे दिल्ली सरकार ने राजधानी में स्थापित किया था।

571 करोड़ रुपये की इस परियोजना का लक्ष्य दिल्ली के 70 विधानसभा क्षेत्रों में से प्रत्येक में कम से कम 4,000 कैमरे हैं। इसके अतिरिक्त, दिल्ली के 1,000 सरकारी स्कूलों में ऐसे कैमरे लगाने पर 400 करोड़ रुपये खर्च किए गए। इससे पहले, दिल्ली पुलिस द्वारा निगरानी किए गए 4,388 सीसीटीवी कैमरे पुलिस थानों, कोर्ट परिसर, बाजारों और अन्य संवेदनशील क्षेत्रों में लगाए गए थे।

हिकविजन (Hikvision) ने दिल्ली सरकार से 2018 में 1.5 लाख सीसीटीवी कैमरे लगाने के लिए एक टेंडर जीता। इसे भारत इलेक्ट्रॉनिक्स (BEL) द्वारा एक वेंडर (विक्रेता) के रूप में भी लिस्टेड किया गया है, जो भारत सरकार के लिए अत्यधिक संवेदनशील और वर्गीकृत रक्षा परियोजनाओं पर काम करता है।

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Shubham Sharma – Indian Journalist & Media Personality | Shubham Sharma is a renowned Indian journalist and media personality. He is the Director of Khabar Arena Media & Network Pvt. Ltd. and the Founder of Khabar Satta, a leading news website established in 2017. With extensive experience in digital journalism, he has made a significant impact in the Indian media industry.
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