बिहार में नेताओं की लाइफस्टाइल पर कोरोना इफेक्ट- कोई शंख फूंक रहा, कोई छोड़ चुका दूध की चाय

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खबर सत्ता डेस्क, कार्यालय संवाददाता
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पटना। लोकसभा में जनता दल यूनाइटेड संसदीय दल के नेता राजीव रंजन सिंह ऊर्फ ललन सिंह (JDU Parliamentary Party Leader Lalan Singh) के आवास पर बैठे हैं। देर तक शंख ध्वनि आ रही है। राय यह बनेगी कि घर में पूजा-पाठ का माहौल है, लेकिन ऐसा नहीं है। यह कोरोना संक्रमण के बाद का परिवर्तन है। असल में ललन सिंह फेफड़े को मजबूत बनाए रखने के लिए शंख फूंकते हैं। बिहार के राजनेताओं की लाइफस्‍टाइल (Lifestyle) में कोरोना संक्रमण (CoronaVirus Infection) ने बड़ा परिवर्तन लाया है। कोई शंख फूंक रहा है तो किसी ने दूध की चाय छोड़ काढ़ा को दिनचर्या में शामिल कर लिया है।

शंख फूंक फेफड़ों को मजबूत कर रहे ललन सिंह

बात ललन सिंह की हो रही थी। वे शंख फूंक कर कोरोना संक्रमण के काल में फेफड़ों को मजबूत करने में लगे हैं। ललन सिंह 24 घंटे में तीन बार 10-10 मिनट तक शंख फूंकने के बाद ताजा दम होकर आगंतुकों से मिलते हैं। चेहरे पर कोरोना का कोई भय नहीं। वे बताते हैं- कोरोना की चपेट में आने के बाद इलाज के दौरान डाक्टर ने शंख फूंकने की सलाह दी थी। फेफड़ों में इंफेक्शन था। बड़ी राहत मिल रही है। ओडीसा के किसी हितैषी ने शंख भेजा है। एकदम ऑरिजिनल है, समुद्र से निकला हुआ।

मिलने-जुलने में काफी एहतियात बरतते सुशील मोदी

बिहार के पूर्व उपमुख्‍यमंत्री (Ex Dy. CM) व वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी के राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी (BJP Rajya Sabha MP Sushil Kumar Modi) की दिनचर्या पहले से व्यवस्थित रही है। विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election 2020) के दौरान कोरोना की चपेट में आ गए थे। पांच दिन में ठीक होकर चुनाव प्रचार में चले गए। अब पूरी तरह फिट हैं। फिर भी उनकी दिनचर्या में बदलाव आया है। वे मिलने-जुलने में काफी एहतियात बरतते हैं। मास्क उनके लिए ही नहीं, सहयोगियों और मुलाकातियों के लिए भी अनिवार्य है।

प्रेमचंद्र मिश्रा ने दूध की चाय छोड़ी, अब पीते काढ़ा

कांग्रेस के विधान परिषद सदस्य प्रेमचंद्र मिश्रा (Congress MLC Prem Chandra Mishra) सपरिवार कोरोना संक्रमित हुए थे। स्वस्थ्य होने के बाद उन्होंने दूध की चाय (Milk Tea) छोड़ दी है। उसके बदले सुबह में काढ़ा (Kadha) का सेवन करते हैं। दिन भर गर्म पानी पीते हैं। कभी लोगों से घिरा रहना उन्हें बहुत अच्छा लगता था। अब भीड़ से बचने की कोशिश करते हैं। अगर कोई मुलाकाती बिना मास्क के आ जाता है तो उन्हें अपनी ओर से मास्क देते हैं। मिश्रा बताते हैं- पहले कोरोना से डर नहीं लगता था। खुद संक्रमित हुए तो अब डर लगने लगा है।

मंगल पांडेय की दिनचर्या पर भी पड़ा है असर

स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय (Health Minister Mangal Pandey) कोरोना संकट के शुरुआती दौर से ही सक्रिय हैं। वह दौर भी था, जब उन्हें रात-दिन काम करना होता था। बहुत सावधानी से रहे। अस्पतालों के दौरे पर किट पहन कर ही जाते थे। फिर भी संक्रमण की चपेट में आ गए। नई सरकार के गठन में उन्हें स्वास्थ्य के अलावा कई अन्य बड़े मंत्रालयों की भी जिम्मेवारी दे दी गई। कहते हैं- हमारी दिनचर्या पर भी असर पड़ा है। लोगों से मिलने-जुलने में एहतियात बरतते हैं।

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