कानपुर: बिकरू कांड के बाद सुर्खियों में आए कानपुर के चौबेपुर थाने में मंगलवार को पुलिस कर्मियों ने शुद्धिकरण यज्ञ किया ताकि इलाके में क्राइम कंट्रोल रहे और शांति बनी रहे. इस दौरान फरियादी अपनी रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए पुलिस कर्मियों के हवन-पूजन से उठने का इंतजार करते रहे. इस पुलिस चौकी में गैंगस्टर विकास दूबे का राज चलता था.
बिकरू गांव में 2 जुलाई की रात गैंगस्टर विकास दुबे ने अपने गुर्गों के साथ मिलकर बिल्हौर सीओ देवेंद्र मिश्रा समेत 8 पुलिस कर्मियों की हत्या कर दी थी. इस घटना के बाद चौबेपुर थाना पुलिस सवालों के घेरे में आ गई थी, क्योंकि यहां के तत्कालीन थानाध्यक्ष विनय तिवारी पर गैंगस्टर विकास दुबे के लिए मुखबिरी करने का आरोप लगा था.
बिकरू शूटआउट के 8वें दिन एसटीएफ ने विकास दुबे का एनकाउंटर कर दिया था. मंगलवार को इस घटना के 60 दिन पूरे हो गए, और केस का आखिरी वांटेड 50 हजार का इनामी रामू वाजपेयी भी पुलिस की गिरफ्त में आ गया. कानपुर ग्रामीण एसपी बृजेश कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि मंगलवार था और सामान्य हवन-पूजन हो रहा था.
जानिए 2 जुलाई की रात बिकरू गांव में क्या हुआ था?
पुलिस टीम 2 जुलाई की रात गैंगस्टर विकास दुबे पर दबिश देने बिकरू गांव गई थी. विकास दुबे को इसकी भनक पहले ही चौबेपुर थाने से लग गई थी. उसने पुलिस टीम पर हमले की पूरी योजना बना रखी थी. पुलिस टीम जैसे विकास दुबे के घर के पास पहुंचे उन पर गोलीबारी होने लगी. इस घटना में 8 पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे और 6 घायल हुए थे.
इस हत्याकांड के मुख्य आरोपी विकास दुबे को उज्जैन के महाकाल मंदिर से गिरफ्तार किया गया था. उज्जैन से कानपुर आते समय पुलिस की गाड़ी पलट गई. विकास दुबे ने मौके का फायदा उठाकर भागना चाहा लेकिन यूपी एसटीएफ ने उसे एनकाउंटर में मार गिराया. इस प्रकरण में विकास समेत उसके 5 अन्य साथी भी एनकाउंटर में मारे गए थे, जबकि 26 से अधिक को जेल भेजा गया है. विकास दुबे के 7 साथियों ने कोर्ट में सरेंडर किया.