लखनऊ। उत्तर प्रदेश सहकारी ग्राम विकास बैंक बोर्ड पर 17 वर्ष बाद फिर से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का कब्जा होगा। प्रबंध समिति के 14 पदों पर बुधवार को नामांकन पत्र दाखिल किए गए, लेकिन इस दौरान विरोधी गायब रहे। लगभग तीन दशक तक सहकारी बैंक की राजनीति में अपनी धमक बनाए रखने वाले मुलायम सिंह यादव परिवार के समर्थक भी मैदान छोड़ गए। कोई विरोधी न होने के कारण 14 भाजपा समर्थकों ने पर्चे भरे। जितने पद उतने ही नामांकन होने से सभी सदस्यों का निर्विरोध निर्वाचित होना तय है। गुरुवार को नाम वापसी की औपचारिकता पूरी होने के बाद प्रबंध समिति के गठन की विधिवत घोषणा हो जाएगी।
करीब छह माह से चल रही भाजपा की रणनीतिक तैयारी बुधवार को फलीभूत हुई। भाजपा का पहला बोर्ड वर्ष 1999 में गठित हुआ था, तत्कालीन सहकारिता मंत्री रामकुमार वर्मा के भाई सुरजन लाल वर्मा अक्टूबर 2003 तक सभापति रहे। इस कालखंड को छोड़ दें तो नब्बे के दशक से अब तक समाजवादियों का ही दबदबा बना रहा।
बुधवार को नामांकन कराने से पहले सभी उम्मीदवार भाजपा मुख्यालय में एकत्रित हुए। प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह व अन्य पदाधिकारियों के साथ बैठक के बाद माल एवेन्यू स्थित बैंक मुख्यालय पहुंचे और नामाकंन पत्र जमा कराने की प्रक्रिया पूरी की।
नामांकन करने वाले उम्मीदवार : सत्यवती-अलीगढ़, संदीप भदौरिया उर्फ श्याम भदौरिया-आगरा, मुक्तेश्वर सिंह- बलिया आजमगढ़, रामसरन-कानपुर, इंद्रपाल-बांदा झांसी, जमुना प्रसाद -अंबेडकरनगर देवीपाटन, राम पलट-प्रयागराज, रविंद्र सिंह राठौर- बरेली, महेंद्र कुमार धनौरिया-बिजनौर मुरादाबाद, कृष्णपाल मलिक-बड़ौत मेरठ, बम्बालाल-उन्नाव लखनऊ एक, सुधीर कुमार सिंह-बाराबंकी-लखनऊ दो, अंजना श्रीवास्तव-जौनपुर वाराणसी।
संतराज होंगे सभापति, केपी मलिक उपसभापति : प्रबंध समिति सदस्यों का निर्विरोध निर्वाचन होने के बाद सभापति और उपसभापति का चयन भी आम सहमति से होगा। सभापति व उपसभापति का चुनाव 23 सितंबर को होगा, जिसमें गोरखपुर के संतराज का सभापति और बड़ौत निवासी विधायक केपी मलिक का उपसभापति निर्वाचित होना लगभग तय है।