काला पानी की सजा इतनी खतरनाक क्‍यों थी, आइये जानते है जेल की सलाखों के पीछे की काहानी

SHUBHAM SHARMA
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काला पानी की सजा इतनी खतरनाक क्‍यों थी, आइये जानते है जेल की सलाखों के पीछे की काहानी

भारत पर राज करने वाले ब्रिटिश हुकूमत ने वर्ष 1896 में इस जेल की आधारशीला रखी। उस वक्‍त स्‍वतंत्रता संग्राम सेनानियों के लिए यह काला पानी था। देशभर के सेनानियों को इसी जेल में रखा जाता था। जेल के अंदर उन पर जमकर जुल्‍म ढाया जाता था और यातनाएं दी जाती थी। इसी कारण इसे ‘काला पानी’ कहा जाता था। इस जेल के निर्माण का ख्याल अंग्रेजों के दिमाग में 1857 के विद्रोह के बाद आया था।

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इस जेल में निर्मित 698 कमरे अंग्रेजों के अत्‍याचार और सेनानियों के बलिदान की दास्‍तां सुनाते हैं। यहां की जेल में कैदियों के कमरे बहुत छोटे होते थे। बंदियों को केवल साढ़े चार मीटर लंबे और तीन मीटर चौड़े कमरों में रखा जाता था।

क्‍यों इस जेल का नाम पड़ा सेल्‍युलर

अंग्रेजों ने बहुत सोच-समझ कर इस जेल का नाम ‘सेल्‍युलर’ रखा था। दरअसल, यहां एक कैदी को दूसरे कैदी से अलग रखा जाता था। जेल में कैदियों के लिए अलग-अलग सेल होती थी। इसके दो कारण बताए जाते हैं।

एक तो सेनानियों को दूसरे सेनानियों से दूर रखने का लक्ष्‍य था। दूसरा, कैदियों को अकेले रखने से उनकी पीड़ा बढ़ जाती थी। यह अकेलापन कैदी के लिए भयावह था। उन्हें सिर्फ समाज से अलग करने के लिए यहां नहीं लाया जाता था, बल्कि उन्हें जेल का निर्माण, भवन निर्माण, बंदरगाह निर्माण आदि के काम में भी लगाया जाता था। यहां आने वाले कैदी ब्रिटिश शासकों के घरों का निर्माण भी करते थे।

हालांकि, यहां कितने सेनानियों को फांसी की सजा दी गई, इसका रिकॉर्ड जेल के रिकार्ड में मौजूद नहीं है। लेकिन अंग्रेजी सत्‍ता का विरोध करने वाले हजारों सेनानियों को यहां लाकर फांसी दे दी गई। तोपों के मुंह पर बांधकर उन्हें उड़ा दिया जाता था।

कई ऐसे भी थे जिन्हें तिल-तिलकर मारा जाता था। इसके लिए अंग्रेजों के पास सेल्युलर जेल का अस्त्र था। यह शब्द भारत में सबसे बड़ी और बुरी सजा के लिए एक मुहावरा बना हुआ है।

गहरे समुद्र से घिरी है जेल

यह जेल गहरे समुद्र से घिरी हुई है। जेल के चारों ओर कई किलोमीटर तक केवल समुद्री जल ही दिखता है। कोई भी कैदी इसे आसानी से पार नहीं कर सकता था। चारों ओर समुद्र से घिरे होने के कारण जेल की चारदीवारी काफी छोटी है।

इस जेल में सबसे पहले 200 विद्रोहियों को जेलर डेविड बेरी और मेजर जेम्स पैटीसन वॉकर की सुरक्षा में यहां लाया गया था। कराची से 733 विद्रोहियों को यहां लाया गया था।

भारत और बर्मा से भी यहां सेनानियों को सजा देने के लिए लाया गया था। इसका मुख्य भवन लाल ईंटों से निर्मित है। ये ईंटें बर्मा से मंगवाई गईं थीं। इस भवन की सात शाखाएं हैं।

भवन के बीचोंबीच एक टावर है

इस टावर से ही सभी कैदियों पर नजर रखी जाती थी। प्रत्येक शाखा तीन मंजिल की बनी थी। इनमें कोई शयनकक्ष नहीं था और कुल 698 कोठरियां थीं। एक कोठरी का कैदी दूसरी कोठरी के कैदी से कोई संपर्क नहीं रख सकता था।

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Shubham Sharma – Indian Journalist & Media Personality | Shubham Sharma is a renowned Indian journalist and media personality. He is the Director of Khabar Arena Media & Network Pvt. Ltd. and the Founder of Khabar Satta, a leading news website established in 2017. With extensive experience in digital journalism, he has made a significant impact in the Indian media industry.