आज़ादी की लड़ाई में बिछड़ी पत्नी से 72 साल बाद मिले 90 वर्षीय स्वतन्त्रता सेनानी; दिल छू जाने वाला था मंज़र!

By SHUBHAM SHARMA

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केरल का एक विवाहित जोड़ा, जो कि साल 1946 में किसान आंदोलन के दौरान एक-दुसरे से बिछड़ गया था; पूरे 72 साल बाद एक-दूजे से मिला।

90 वर्षीय ए. के. नाम्बियार उस समय केरल के गाँव कवुम्बई के किसान आंदोलन में भाग लेने के कारण जेल चले गये और उन्हें उनकी पत्नी शारदा (अब 86 वर्षीय) से बिछड़ना पड़ा था। उस समय शारदा की उम्र सिर्फ़ 14 साल थी और नाम्बियार 18 साल के थे।

शारदा और नाम्बियार की शादी को लगभग 8 महीने ही हुए थे कि गाँव में ब्रिटिश राज और जमींदारों के खिलाफ़ किसानों का विद्रोह बढ़ने लगा। इसे रोकने के लिए ब्रिटिश पुलिस ने किसानों को गिरफ़्तार करना शुरू किया, जिसके चलते नाम्बियार और उनके पिता को घर से निकलकर भूमिगत होना पड़ा।

लेकिन ब्रिटिश पुलिस के सिपाही हर रोज उनके घर जाकर उनके परिवार वालों को और ख़ासकर कि उनकी नई दुल्हन शारदा को परेशान करते। इसलिए नाम्बियार के परिवार ने फ़ैसला लिया कि पूरा मामला ठंडा पड़ने तक शारदा को उनके मायके भेज दिया जाये।

हालाँकि, उस वक्त मायके जाते समय शारदा नहीं जानतीं थीं कि ये जुदाई कुछ दिनों की नहीं बल्कि हमेशा के लिए थी। उन्हें लगा था कि कुछ समय बाद ससुराल से बुलावा आ जायेगा, पर ऐसा नहीं हुआ।

कवुम्बई गाँव में ब्रिटिश पुलिस ने नाम्बियार और उनके पिता को गिरफ्तार कर लिया और उन्हें 8 साल कारावास की सज़ा सुनाई गयी। नाम्बियार के भतीजे मधु कुमार ने बताया कि अंग्रेजों ने उनके घर को तहस-नहस करके आग के हवाले कर दिया था।

उन्होंने अपनी सज़ा कन्नूर, विय्यूर और सलेम की जेलों में काटी। इस दौरान सलेम की जेल में 11 फ़रवरी 1950 को उनके पिता थालियान रमन नाम्बियार की गोली मार कर हत्या कर दी गई। इस संघर्ष में नाम्बियार को भी 22 गोली लगीं, जिनमें से 3 को आज भी उनके शरीर से नहीं निकाला जा सका है।

इधर शारदा के परिवार को जब इन घटनाओं की ख़बर मिली, तो उन्होंने मान लिया कि शायद नाम्बियार कभी नहीं लौटेंगे। इसलिए उन्होंने युवा शारदा की दूसरी शादी करवाने का फ़ैसला कर लिया। अपने जेल कारावास के बाद जब नाम्बियार लौटे तो उनका भी पूरा ध्यान अपने घर-परिवार को फिर से सहेजने पर था। जैसे-जैसे वक़्त बीता, शारदा और नाम्बियार अपनी-अपनी जिंदगी में मसरूफ़ हो गये। नाम्बियार की भी दूसरी शादी हो गयी थी।

लेकिन, इन दोनों के दिल में यूँ अलग हो जाने का मलाल हमेशा रहा। इतने सालों बाद जब ये दोनों मिले, तो ज्यादा कुछ नहीं कह पाए पर 72 सालों का दर्द आँखों से आँसूओं की शक्ल में बह निकला।

नाम्बियार, शारदा या फिर उनके किसी भी रिश्तेदार ने नहीं सोचा था कि वे यूँ एक बार फिर मिलेंगें। पर कहते हैं न, ‘किस्मत के खेल निराले’। यह किस्मत ही थी कि अचानक शारदा का बेटा और जैविक खेती करने वाला भागर्वन, नाम्बियार के रिश्तेदारों के बीच पहुँच गया।

जैसे-जैसे उन्होंने अपने परिवारों के बारे में बात करना शुरू किया, उन्हें पता चला कि उनका एक-दुसरे से संबंध है। वह किस्सा जो वर्षों पहले उस आंदोलन में कहीं खोकर रह गया था, वह फिर से उठा। परिवारजनों ने जब यह इतिहास सुना, तो उन्होंने नाम्बियार और शारदा की मुलाकात करवाने का फ़ैसला किया।

नाम्बियार की दूसरी पत्नी का देहांत हो चुका हैं और शारदा भी 30 साल पहले विधवा हो गयी थीं।

भार्गवन ने बताया कि पहले तो उनकी माँ ने नाम्बियार से मिलने और बात करने से इन्कार कर दिया। लेकिन काफ़ी आग्रह के बाद वह मिलने के लिए राजी हो गईं। भार्गवन ने बताया कि मुलाकात के समय दोनों ही बेहद भावुक हो गए थे। शारदा ने नाम्बियार से कहा, कि जो भी हुआ उसके लिए उन्हें किसी से भी कोई शिकायत नहीं है। वे दोनों ज़्यादा कुछ नहीं कह पाए, बस भरी हुई आँखों के साथ एक-दुसरे के पास बैठे रहे।

संपादन – मानबी कटोच

SHUBHAM SHARMA

Shubham Sharma is an Indian Journalist and Media personality. He is the Director of the Khabar Arena Media & Network Private Limited , an Indian media conglomerate, and founded Khabar Satta News Website in 2017.

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