तमिलनाडु में जल्लीकट्टू के आयोजन में पहुंचे राहुल गांधी, बोले- बेहद प्‍यारा अनुभव रहा

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खबर सत्ता डेस्क, कार्यालय संवाददाता
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चेन्नई। तमिलनाडु के चर्चित जल्‍लीकट्टू आयोजन में पहुंचे पूर्व कांग्रेस अध्‍यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि इस तमिल कल्‍चर भारत के भविष्‍य के लिए बेहद महत्‍व रखता है, इसका सम्‍मान करने की जरूरत है। तमिलनाडु में कोरोना महमारी के चलते कुछ पाबंदियों के साथ जल्लीकट्टू के आयोजन हो रहा है। बता दें कि आज राहुल गांधी, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत आज तमिलनाडु में हैं। ये लोग अलग-अलग कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे। संघ प्रमुख मोहन भागवत ने चेन्नई में पोंगल का त्योहार मनाया और गाय की पूजा की।

राहुल गांधी ने कहा, ‘तमिल संस्‍कृति और एक्‍शन में इतिहास को देखना बेहद प्‍यारा अनुभव रहा। मुझे यह देखकर भी बेहद खुशी हो रही है कि जल्‍लीकट्टू बहुत व्‍यवस्थित और सुरक्षित तरीके से आयोजित किया गया है, जिसमें युवाओं कौर बैलों दोनों का ध्‍यान रखा जा रहा है। मैं यहां आया हूं, क्‍योंकि मुझे लगता है कि तमिल कल्‍चर, भाषा और इतिहास भारत के भविष्‍य के लिए बेहद आवश्‍यक है, इसलिए इसका सम्‍मान करने की जरूरत है।’

इसके अलावा नड्डा प्रदेश भाजपा द्वारा आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे। साथ ही तमिलनाडु की पारंपरिक कला तथा खेलों को भी देखेंगे और बैलगाड़ी की सवारी करेंगे। बाद में वह लोगों को संबोधित भी करेंगे। इसके अलावा वह तमिल पत्रिका तुगलक के वार्षिक कार्यक्रम में भी शिरकत करेंगे। मालूम हो कि राज्य में इस साल अप्रैल-मई में विधानसभा के चुनाव होने हैं। इस कारण राज्य में राजनीतिक सरगर्मियां धीरे-धीरे तेज होने लगी हैं।

बता दें कि राज्य सरकार ने निर्देश दिया है कि जल्लीकट्टू के आयोजन के दौरान किसी कार्यक्रम में खिलाड़ियों की संख्या 150 से अधिक नहीं होनी चाहिए। इसके अलावा इनका कोरोना नेगेटिव सर्टिफिकेट अनिवार्य है। आयोजनस्थल पर कुल क्षमता के केवल 50 फीसद दर्शक ही इकट्ठा हो सकते हैं। राज्य सरकार के निर्देश के अनुसार प्रवेश से पहले दर्शकों की थर्मल स्कैनिंग होगी। इसके अलावा उन्हें शारीरिक दूरी का पलान करना होगा

400 साल पुराने पारंपरिक खेल जल्लीकट्टू का आयोजन पोंगल पर फसलों की कटाई के समय होता है। इस दौरान संड़ों की सीगों में सिक्के या नोट फंसा दिए जाते हैं और उन्हें भड़काकर भीड़ में छोड़ दिया जाता है। लोगों को इन्हें काबू में करना होता है। सांड़ों के तेज दौड़ने के लिए उनकी आंखों में मिर्च डाला जाता है। इसके अलावा उनकी पूंछों को मरोड़ा जाता है।

पशुप्रेमी  जलीकट्टू का काफी विरोध करते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर 2014 में प्रतिबंध लगा दिया था। लोगों ने इसका काफी विरोध किया और सड़क पर उतर आए। इसके बाद राज्य सरकार ने एक अध्यादेश पास करके इशके आयोजन को अनुमति दी। भारत के पशु कल्याण बोर्ड और द पीपुल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) द्वारा याचिका दायर की गई थी।

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