उज्जैन: लॉकडाउन के कारण आम आदमी ही नहीं भगवान के मंदिरों के लिए भी आर्थिक संकट की स्थिति उत्पन्न हो गई है. उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर को दान में हर महीने औसतन 2.5 करोड़ मिलते थे. लेकिन 21 मार्च से 29 अप्रैल के बीच महाकालेश्वर मंदिर को सिर्फ 2 लाख 33 हजार रुपए का दान प्राप्त हुआ. जबकि मंदिर का हर महीने का खर्च 1 करोड़ रुपए से ऊपर का है.
भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक विश्व प्रसिद्द महाकालेश्वर मंदिर कोरोना वायरस के चलते 21 मार्च से बंद है. इन 56 दिनों में महाकाल मंदिर में ऑन लाइन दान के जरिए अब तक कुल 3 लाख 33 हजार रुपए प्राप्त हुए हैं. जबकि कोरोना संकट से पहले औसतन प्रति माह 2 से 2.5 करोड़ रुपए मंदिर को दान में प्राप्त होते थे. उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में करीब 650 कर्मचारी अलग-अलग तरह की सेवाएं देते हैं.
कर्मचारियों की प्रतिमाह सैलरी और अन्य खर्च के रूप में 1 से 1.25 करोड़ रुपए का खर्चा महाकालेश्वर मंदिर समिति के ऊपर आता है. कोरोना संकट के कारण महाकालेश्वर मंदिर पिछले 2 महीने से आम श्रद्धालुओं के लिए बंद है. ऐसे में दान प्राप्ति नहीं हो रही और मंदिर के कर्मचारियों को सैलरी देने के साथ ही अन्य खर्च निकालना भी मुश्किल हो रहा है.
महाकाल मंदिर में 650 कर्मचारियों की सैलरी, बिजली का बिल, अन्न क्षेत्र का खर्चा, मंदिर परिसर की साफ-सफाई, मंदिर में होने वाली पूजा और उसमें लगने वाली सामग्री, सुरक्षा सहित अन्य खर्चों पर करीब हर महीने सवा करोड़ रुपए का खर्च आता है. मंदिर की आमदनी रुक जाने से ये सारी व्यवस्थाएं चरमराई हुई हैं. महाकालेश्वर मंदिर के प्रशासक सुजान सिंह रावत का कहना है कि प्रबंध समिति अपने कर्मचारियों को जमा पूंजी से ही वेतन देना पड़ रहा है.