पूरी दुनिया के साथ ही साथ भारत में भी कोरोना वायरस का प्रकोप देखने को मिल रहा है। ऐसे में एक तरफ जहां सरकार इसके समाधान में जुटी है तो वहीं दूसरी ओर सितारे भी अपने स्तर पर जनता को जागरूक करने की कोशिश में जुटे हैं। पीएम नरेंद्र मोदी ने कोरोना वायरस के कहर के देखते हुए देश को 21 दिनों के लिए लॉकडाउन कर दिया है।
इसके बाद से ही सोशल मीडिया पर सितारे काफी सक्रिय हो गए हैं। इस लिस्ट में अमिताभ बच्चन का नाम सबसे ऊपर लिया जा सकता है। अमिताभ सोशल मीडिया पर न सिर्फ खुद की तस्वीरें साझा कर रहे हैं बल्कि साथ ही साथ कोरोना वायरस से जुड़ी जानकारियां भी साझा कर रहे हैं। इस बीच अमिताभ बच्चन का एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। वीडियो के वायरल होने के साथ ही कई ऐसे दावे भी सामने आ रहे हैं कि अमिताभ बच्चन इस वीडियो में गलत जानकारी दे रहे हैं।
सबसे पहले आपको बताते हैं कि अमिताभ बच्चन वीडियो में क्या कह रहे हैं। वीडियो में अमिताभ कह रहे हैं, ‘हमारा देश कोरोना वायरस से जूझ रहा है और आप सब को इस लड़ाई में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है। क्या आप जानते हैं हाल ही में चीन के विशेषज्ञों ने पाया है कि कोरोना वायरस मानव मल में कई हफ्तों तक जिंदा रह सकता है।
कोरोना वायरस का मरीज अगर पूरी तरह ठीक भी हो जाए तो भी कुछ हफ्तों तक उसके मल में कोरोना वायरस जिंदा रह सकता है। फिर उस मल के ऊपर मक्खी बैठेगी। वहां से हटने के बाद यहां-वहां उड़ेगी। खाने-पीने की चीज़ों पर बैठेगी, जिससे कोरोना फैलेगा। इसलिए ये बहुत ही आवश्यक है कि कोरोना से लड़ने के लिए वैसा ही एक जन आंदोलन बना लें, जैसे कि हमने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में स्वच्छ भारत मिशन को जन आदोंलन बनाकर भारत को खुले में शौच मुक्त बनाया था।’ उनके इस वीडियो का सार ये है कि पब्लिक को दरवाजे बंद करके शौच करना चाहिए और साथ ही साथ गलती से भी बाहर खुले में शौच के लिए नहीं जाना चाहिए वरना कोरोना वायरस फैल सकता है।
क्या है बवाल
दरअसल अमिताभ बच्चन के इस वीडियो के वायरल होने के बाद कई ऐसे दावे किए जा रहे हैं कि इस वीडियो में अमिताभ बच्चन गलत जानकारी दे रहे हैं। दावों में कहा जा रहा है कि कोरोना वायरस रेस्पिरेटरी सीक्रिशन से होता है। ऐसे में कोरोना वायरस मानव मल से कैसे फैल सकता है? एक तरफ जहां अमिताभ के वीडियो को गलत बताने के लिए कुछ सोशल मीडिया यूजर्स पोस्ट कर रहे हैं तो वहीं कुछ सोशल मीडिया यूजर्स इस पर वीडियोज बनाकर अपनी राय रख रही हैं।
क्या है सच्चाई
सबसे पहले बात करते हैं अमिताभ बच्चन के वीडियो पोस्ट की। अमिताभ ने अपने वीडियो पोस्ट के कैप्शन में ‘लैंसेट’ की एक स्टडी का हवाला दिया है। लैंसेट की जिस स्टडी की बात अमिताभ बच्चन कर रहे हैं, उसका नाम है – Prolonged presence of SARS-CoV-2 viral RNA in faecal samples. इस स्टडी में बताया गया है कि स्टडी के लिए कोरोना वायरस संक्रमित 74 लोगों के मल और श्वास के सैंपल जमा किए गए। इन 74 मरीजों में से 33 मरीजों के मल सैंपल कोरोना से निगेटिव पाए गए। वहीं श्वास सैंपल पर इनका असर करीब 15 दिनों तक देखा गया।
इसके अलावा 74 कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों में से 41 मरीजों के मल सैंपल पॉजिटिव पाए गए। वहीं गौर करने वाली बात है कि मल सैंपल में कोरोना वायरस करीब 28 दिनों तक पॉजिटिव पाया गया। इसके साथ ही दूसरी ओर इन 41 मरीजों के श्वास सैंपल में कोरोना वायरस करीब 17 दिनों तक देखा गया। याद दिला दें कि जिन 33 मरीजों के मल सैंपल में कोरोना वायरस पॉजिटिव नहीं था, उनके श्वास में 17 नहीं बल्कि 15 दिन तक ही कोरोना पाया गया था।
इस स्टडी में आगे बताया है कि उनके डाटा से इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि जब कोरोना संक्रमित मरीज के श्वास का सैंपल निगेटिव हो जाए उसके बाद भी मल में करीब 5 हफ्तों तक पॉजिटिव रह सकता है। इस बात को समझाने के लिए फीकल ओरल रूट ट्रांसमिशन का जिक्र किया गया है, जिसे आसान भाषा में समझाने के लिए अमिताभ ने मक्खी- मच्छर के उदाहरण दिए हैं। इस स्टडी की खास बात है कि यह स्टडी कोविड के स्ट्रेन SARS-CoV-2 पर आधारित है। गौरतलब है कि स्टडी में इस बात का भी जिक्र है कि अभी इसी सिर्फ एक शुरुआत माना जा रहा है और इस पूरे मामले पर अधिक रिसर्च की जरूरत है।