सिवनी,बरघाट (मध्यप्रदेश) एस. शुक्ला। ग्राम पंचायत धारनाकला में वर्षों से जर्जर पड़े शासकीय भवनों को तोड़कर निकाले गए सामान की नीलामी शनिवार को हो रही थी। सैकड़ों ग्रामीण बोली लगाकर चीप कवेलू, पुरानी लकड़ी, दरवाजे, खिड़कियां, सालों से बंद पानी की मोटर और अन्य कबाड़ खरीद रहे थे।
लेकिन तभी मामला उस वक्त दिलचस्प हो गया, जब कबाड़ में तब्दील पानी के टैंकरों की नीलामी को अचानक रोक दिया गया। यह रोक जनपद सीईओ प्रतिभा परते के आदेश पर लगाई गई।
कबाड़ नीलामी में ग्रामीणों की भीड़
ग्राम पंचायत धारनाकला ने पहले ही 25 अगस्त को जनपद पंचायत बरघाट को नीलामी की सूचना दी थी। 2 सितम्बर को पंचायत द्वारा डिस्मेंटल की गई सामग्री की नीलामी हुई और बोली लगाने के लिए ग्रामीणों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। पुराने भवनों से निकली सामग्री तो बिकी ही, साथ ही 25 हजार रुपये में जर्जर टैंक भी कबाड़ियों ने खरीद लिए।
अचानक नीलामी पर ब्रेक, ग्रामीणों में सवाल
नीलामी की पूरी प्रक्रिया संपन्न हो चुकी थी। मगर ठीक उसी समय जनपद सीईओ ने फोन पर आदेश देकर जर्जर टैंकरों की नीलामी रुकवा दी। 👉 ग्रामीणों का सवाल है कि – “जब सारी सामग्री शासकीय भवनों से निकली थी और वही नीलाम भी हुई, तो फिर सिर्फ कबाड़ टैंकरों की नीलामी क्यों रुकवाई गई?”
डिस्मेंटल आदेश के बाद हुई कार्रवाई
दरअसल, पंचायत ने पुराने भवनों की जर्जर स्थिति को देखते हुए एसडीएम न्यायालय बरघाट में आवेदन दिया था। एसडीएम ने डिस्मेंटल का आदेश जारी किया और शासन की अनुमति के बाद पंचायत ने पुराने भवन गिरा दिए। भवनों से निकली सामग्री की नीलामी तो सफलतापूर्वक हो गई, लेकिन टैंकरों पर रोके गए फरमान ने विवाद खड़ा कर दिया है।
सीईओ चुप, चर्चाएं तेज
मामले पर जब जनपद सीईओ प्रतिभा परते से बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया।
अब ग्रामीणों और पंचायत प्रतिनिधियों के बीच इस निर्णय को लेकर कई तरह की चर्चाएं गर्म हैं।
कुछ लोग इसे पारदर्शिता पर सवाल बता रहे हैं, तो कुछ इसे अंदरूनी दबाव का नतीजा मान रहे हैं।