सिवनी: बरघाट क्षेत्र में धार्मिक आस्था को ठेस पहुंचाने वाला एक गंभीर मामला सामने आया है, जिसमें लेखराम मात्रे नामक पूर्व जनपद सदस्य ने ब्रम्हांड के सृजनकर्ता भगवान ब्रह्मा के लिए अश्लील और आपत्तिजनक टिप्पणी की। यह टिप्पणी अखिल भारतीय मरार माली मौर्य समाज के व्हाट्सऐप ग्रुप में की गई, जिसे देखकर संपूर्ण हिंदू समाज में गहरी पीड़ा और आक्रोश की लहर दौड़ गई।
सार्वजनिक जीवन में रहते हुए गिरते स्तर की मिसाल
लेखराम मात्रे की पत्नी वर्तमान में बरघाट जनपद की सदस्य हैं और स्वयं लेखराम भी पूर्व में इस पद पर कार्य कर चुके हैं। जनता द्वारा निर्वाचित पद पर आसीन व्यक्ति से यह अपेक्षा की जाती है कि वह सामाजिक सौहार्द और मर्यादा का पालन करे। किंतु लेखराम मात्रे ने अपने सार्वजनिक जीवन की गरिमा को ताक पर रखकर सनातन धर्म की मूल आस्थाओं पर अशोभनीय प्रहार किया, जो लोकतांत्रिक मूल्यों और सामाजिक संरचना दोनों के विरुद्ध है।
विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल की सक्रिय भूमिका
इस घटना के प्रकाश में आने के पश्चात, विश्व हिंदू परिषद एवं बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने संगठित होकर बरघाट पुलिस थाना में पहुंचकर लेखराम मात्रे के खिलाफ ज्ञापन सौंपा। उन्होंने मांग की कि ऐसे व्यक्ति पर तत्काल सख्त कार्रवाई की जाए, जिससे भविष्य में कोई भी व्यक्ति धार्मिक आस्था के खिलाफ इस प्रकार का दुस्साहस न कर सके।
बरघाट पुलिस ने तत्परता से दर्ज किया अपराध
बरघाट थाना प्रभारी मोहनीश बैस ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए तत्काल एफआईआर दर्ज की। लेखराम मात्रे के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 की धारा 196/1 एवं धारा 299 के तहत प्रकरण पंजीबद्ध किया गया है। इस तत्पर और साहसिक कार्यवाही की पूरे हिंदू समाज और धार्मिक संगठनों ने मुक्तकंठ से सराहना की।
जनमानस में आक्रोश, कड़ी कार्रवाई की मांग
समाज में इस घटना को लेकर गहरा रोष व्याप्त है। आम जनमानस, धर्म प्रेमी जनता और समाज के गणमान्य लोग लेखराम मात्रे की निंदा करते हुए इस बात पर अडिग हैं कि ऐसे व्यक्ति पर कठिनतम कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए। उनका मानना है कि राजनीतिक लाभ और लोकप्रियता के लिए कोई भी व्यक्ति धार्मिक मूल्यों के साथ खिलवाड़ नहीं कर सकता।
धर्म पर हमला नहीं किया जा सकता सहन
विश्व हिंदू परिषद जिला अध्यक्ष अखिलेश सिंह चौहान के साथ दिग्विजय सिंह राजपूत, घनश्याम रहांगडाले एवं रंजीत धुर्वे न एक स्वर में कहा कि सनातन धर्म की नींव सत्य, शांति और सहिष्णुता पर आधारित है। किंतु जब कोई व्यक्ति इस धर्म के देवताओं के विरुद्ध अपमानजनक टिप्पणी करता है, तो यह सिर्फ धार्मिक भावना पर नहीं बल्कि भारत की सांस्कृतिक विरासत पर भी आघात होता है। भगवान ब्रह्मा केवल एक धार्मिक प्रतीक नहीं बल्कि हिंदू दर्शन के अनुसार ब्रह्मांड के सृष्टिकर्ता हैं। उनके बारे में अश्लील और गलत टिप्पणी करना पूरे सनातन विचारधारा का अपमान है।
राजनीति में शुचिता और संयम की आवश्यकता
लेखराम मात्रे जैसे लोग जो कि पूर्व में जनप्रतिनिधि रह चुके हैं, उनसे समाज को अपेक्षा होती है कि वे धर्म, संस्कृति और समाज के प्रति सजगता और संवेदनशीलता दिखाएं। लेकिन जब वही लोग सामाजिक समरसता को खंडित करने वाले कृत्य करें, तो यह चिंता का विषय है। ऐसे व्यक्तियों को राजनीतिक और सामाजिक जीवन से बहिष्कृत किया जाना चाहिए।
अश्लीलता और धार्मिक अपमान के विरुद्ध कठोर कानून का संदेश
भारतीय संविधान ने सभी नागरिकों को धर्म की स्वतंत्रता दी है, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि कोई व्यक्ति किसी धर्म विशेष के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करे। भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 की नई धाराओं में ऐसे मामलों के लिए स्पष्ट दंड का प्रावधान है। लेखराम मात्रे के खिलाफ की गई एफआईआर इस बात का प्रमाण है कि अब कानून ऐसे मामलों में लापरवाही नहीं बरतेगा।
धार्मिक संगठनों, संत समाज और आम नागरिकों का यह भी कहना है कि लेखराम मात्रे पर इतनी सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए कि यह मामला नज़ीर बने। कोई भी भविष्य में सनातन धर्म या किसी भी धर्म विशेष के खिलाफ अश्लील या अपमानजनक टिप्पणी करने से पहले हजार बार सोचे।
धर्म, आस्था और कानून
लेखराम मात्रे द्वारा की गई धार्मिक भावना को आहत करने वाली टिप्पणी से हिंदू समाज की भावनाएं बुरी तरह आहत हुई हैं। लेकिन बरघाट पुलिस द्वारा की गई तत्काल कार्रवाई और विश्व हिंदू परिषद एवं बजरंग दल की सक्रियता ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत की आत्मा – सनातन धर्म – को ठेस पहुंचाने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। जनता की यह सामूहिक चेतना ही वह शक्ति है, जो धर्म, आस्था और संविधान की मर्यादा को बनाए रखेगी।