Seoni News: धर्म और संस्कृति की पावन भूमि धारनाकला में आज से विशाल 24 कुण्डीय गायत्री महायज्ञ का भव्य शुभारंभ हो चुका है। इस महायज्ञ में भारी संख्या में श्रद्धालु भाग ले रहे हैं और पूरा क्षेत्र धार्मिक आस्था से सराबोर हो गया है।
धारनाकला में धार्मिक आयोजनों की परंपरा
धारनाकला को धर्म और संस्कृति का प्रमुख केंद्र माना जाता है, जहाँ प्रति वर्ष अनेक धार्मिक आयोजन किए जाते हैं। विशेष रूप से, इस क्षेत्र में महिला शक्ति की अद्वितीय भूमिका रही है। हर वर्ष, महिलाएँ संगठित होकर बड़े धार्मिक आयोजनों में भाग लेती हैं और उनके सहयोग से ही ये आयोजन अत्यंत सफल होते हैं।
गायत्री महायज्ञ का प्रथम दिवस – भव्य कलश यात्रा
यज्ञ के पहले दिन भव्य कलश यात्रा निकाली गई, जिसमें सैकड़ों महिलाओं ने पारंपरिक वस्त्र पहनकर बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। जयकारों और भजनों की गूंज के साथ, पूरा नगर आध्यात्मिक ऊर्जा से भर उठा। कलश यात्रा का प्रारंभ मंदिर प्रांगण से हुआ और यह नगर के विभिन्न मार्गों से होते हुए यज्ञ स्थल पर संपन्न हुई।
यज्ञ स्थल पर पहुँचने के पश्चात, वेदपाठी ब्राह्मणों ने वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ यज्ञ की विधिवत शुरुआत करवाई। श्रद्धालुओं ने आहुति अर्पित कर यज्ञ में अपनी सहभागिता सुनिश्चित की और ईश्वरीय आशीर्वाद प्राप्त किया।
गायत्री महायज्ञ का आध्यात्मिक एवं सामाजिक महत्व
गायत्री महायज्ञ केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक एवं सामाजिक चेतना का प्रतीक भी है। इस यज्ञ के माध्यम से—
- मानव कल्याण एवं विश्व शांति की प्रार्थना की जाती है।
- पर्यावरण शुद्धि हेतु वैदिक मंत्रों के साथ आहुति दी जाती है, जिससे वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है।
- सामाजिक एकता को बढ़ावा मिलता है, क्योंकि विभिन्न वर्गों एवं समुदायों के लोग एक साथ आकर इस आयोजन में सम्मिलित होते हैं।
- युवाओं में भारतीय संस्कृति एवं धर्म के प्रति जागरूकता उत्पन्न होती है।
महिला शक्ति की विशेष भागीदारी
धारनाकला में होने वाले धार्मिक आयोजनों में महिलाओं की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही है। इस महायज्ञ में भी महिलाएँ पूरे समर्पण के साथ जुड़ी हैं। इस बार, ग्राम की महिलाओं ने सामूहिक रूप से निर्णय लिया कि गायत्री महायज्ञ के पश्चात श्रीमद्भागवत महापुराण कथा का भी आयोजन किया जाएगा।
श्रीमद्भागवत कथा में—
- भगवान श्रीकृष्ण की अमरत्व कथा का श्रवण भक्तों को मिलेगा।
- जीवन में धर्म, सत्य और भक्ति का महत्व समझाया जाएगा।
- महिलाएँ संगठित होकर भजन-कीर्तन के कार्यक्रम आयोजित करेंगी।
धारनाकला – धर्म और संस्कृति की पावन भूमि
धारनाकला वर्षों से धार्मिक आयोजनों का प्रमुख केंद्र रहा है। यहाँ समय-समय पर महायज्ञ, प्रवचन, भजन संध्या, एवं अन्य आध्यात्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता रहा है। ग्राम के बुजुर्गों के अनुसार, यह भूमि ऋषियों और संतों की तपोभूमि रही है, जहाँ अनेक महान संतों ने साधना की है।
यह यज्ञ न केवल आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है, बल्कि यह समाज को सद्भाव और एकता का संदेश भी देता है। जब सैकड़ों लोग एक साथ किसी धर्म-कर्म में संलग्न होते हैं, तो वह आयोजन अपने आप में एक महान प्रेरणा स्रोत बन जाता है।
यज्ञ में सम्मिलित होने का निमंत्रण
इस दिव्य आयोजन में सभी श्रद्धालु आमंत्रित हैं। जो भी भक्तगण पुण्य अर्जित करना चाहते हैं, वे इस महायज्ञ में शामिल होकर धर्मलाभ प्राप्त कर सकते हैं। यज्ञ की विभिन्न रस्मों एवं धार्मिक अनुष्ठानों का साक्षी बनने का यह एक सुनहरा अवसर है।
धारनाकला में गायत्री महायज्ञ एक धार्मिक, आध्यात्मिक एवं सामाजिक चेतना का संदेशवाहक है। इस यज्ञ से समाज में धर्म के प्रति आस्था जाग्रत होती है, पर्यावरण शुद्ध होता है और एकता एवं सद्भाव को बढ़ावा मिलता है। महिलाओं की सक्रिय भागीदारी इस आयोजन को और भी भव्य बनाती है।