सिवनी (बरघाट): मध्य प्रदेश आजीविका मिशन का उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त बनाना है। इसके तहत महिला ग्राम संगठन और संकुल स्तरीय संगठन महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये संगठन महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने, आर्थिक सहायता प्रदान करने और संगठित बचत को बढ़ावा देने का कार्य करते हैं। लेकिन हाल के दिनों में सिवनी जिले के बरघाट क्षेत्र में महिला अधिकारों की अनदेखी और नियमों के उल्लंघन की घटनाएं बढ़ी हैं।
ग्राम संगठन अध्यक्ष का चुनाव विवादों में
बरघाट में महिला स्व सहायता समूह ग्राम संगठन अध्यक्ष के चुनाव को लेकर विभागीय अधिकारियों की उदासीनता सामने आई है। एक माह से अधिक समय बीतने के बाद भी रिक्त पद की पूर्ति नहीं हो सकी है। यह स्थिति तब है जब जिला कलेक्टर संस्कृति जैन के आदेश के बाद पूर्व अध्यक्ष रंजीता बोपचे ने इस्तीफा दे दिया था।
विभागीय अधिकारी सरकारी आदेशों को नजरअंदाज कर रहे हैं, जिससे स्पष्ट होता है कि महिला सशक्तिकरण की योजनाएं केवल कागजों तक ही सीमित रह गई हैं।
भोपाल के निर्देशों का पालन नहीं
मध्य प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन, भोपाल के निर्देशों के बावजूद बरघाट विकासखंड सहित पूरे जिले में नेतृत्व परिवर्तन की प्रक्रिया नहीं हुई। अतिरिक्त मुख्य कार्यपालन अधिकारी संजीव सिन्हा द्वारा जारी निर्देश में कहा गया था कि सामुदायिक संस्थाओं में नेतृत्व परिवर्तन किया जाए और हर दो वर्ष में पदाधिकारियों का चुनाव अनिवार्य रूप से हो। लेकिन वर्षों से ग्राम संगठन और संकुल अध्यक्षों के चुनाव नहीं हुए हैं।
महिला अधिकारों का हनन: लचर प्रशासनिक व्यवस्था
बरघाट ही नहीं, पूरे जिले में स्थिति एक समान है। विभागीय अधिकारी भोपाल के आदेशों को अमल में नहीं ला रहे, जिससे महिलाओं को उनके अधिकारों से वंचित किया जा रहा है। एक बार कोई व्यक्ति ग्राम संगठन का अध्यक्ष या सचिव बन जाए, तो वह वर्षों तक पद पर बना रहता है। इस दौरान प्रशासन द्वारा बैठकों का आयोजन तक नहीं किया जाता।
हजारों महिलाएं प्रभावित
बरघाट में हजारों महिलाएं स्व सहायता समूहों से जुड़ी हुई हैं। प्रत्येक स्व सहायता समूह में 11 से 15 महिलाएं शामिल होती हैं, और 25 से 30 समूह मिलकर ग्राम संगठन का गठन करते हैं। यही ग्राम संगठन अध्यक्ष और सचिव का चुनाव करता है, जो शासन से प्राप्त वित्तीय सहायता का प्रबंधन करते हैं।
लेकिन प्रशासनिक उदासीनता के कारण महिला समूहों को उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिल रहा। कई मामलों में राजनीतिक प्रभाव रखने वाली महिलाएं ही इन पदों पर कब्जा जमाए बैठी हैं।
महिला अधिकारियों की कमी
मध्य प्रदेश आजीविका मिशन महिलाओं से जुड़ा एक केंद्रित कार्यक्रम है, लेकिन ब्लॉक और जिला स्तर पर महिला अधिकारियों की भारी कमी है। जिला प्रबंधक से लेकर ब्लॉक प्रबंधक तक अधिकांश पदों पर पुरुष अधिकारी कार्यरत हैं, जिससे महिलाओं को अपनी समस्याएं खुलकर रखने में कठिनाई होती है।
क्या जिला प्रशासन इस ओर ध्यान देगा?
महिलाओं की सशक्तिकरण योजनाओं का सही क्रियान्वयन आवश्यक है। जिला प्रशासन और आजीविका मिशन को चाहिए कि वे नेतृत्व परिवर्तन की प्रक्रिया शीघ्र पूरी करें, ताकि महिलाओं को स्वतंत्र रूप से निर्णय लेने का अधिकार मिले। क्या संवेदनशील जिला कलेक्टर इस ओर ध्यान देंगी?