सिवनी: मध्य प्रदेश के सिवनी जिले में कुरई थाना क्षेत्र के हरदुली गांव में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई। जंगली सूअर का शिकार करने की कोशिश कर रहे बाघ का संतुलन बिगड़ गया, और दोनों कुएं में गिर गए। यह घटना रात के अंधेरे में हुई, और सुबह होते ही ग्रामीणों ने कुएं में बाघ को देखा। तुरंत ही इसकी सूचना वन विभाग को दी गई, जिसके बाद बचाव कार्य शुरू हुआ।
बाघ और जंगली सूअर एक साथ कैसे गिरे कुएं में?
यह पूरी घटना पेंच टाइगर रिज़र्व के बफ़र ज़ोन में स्थित हरदुली गांव की है। स्थानीय लोगों के अनुसार, रात के समय एक बाघ शिकार की तलाश में जंगल से गांव के नजदीक आ गया था। जैसे ही उसने एक जंगली सूअर को देखा, उसने उसका पीछा करना शुरू कर दिया। तेज गति से भाग रहे सूअर को बचने का कोई रास्ता नहीं मिला और वह सीधे कुएं में गिर गया।
बाघ ने भी अपना शिकार पकड़ने के प्रयास में छलांग लगाई, लेकिन अंधेरा होने के कारण वह भी कुएं में जा गिरा। ग्रामीणों को इस घटना के बारे में सुबह तब पता चला जब उन्होंने कुएं से बाघ की दहाड़ें सुनीं।
ग्रामीणों ने वन विभाग को दी सूचना
हरदुली गांव के लोगों ने सुबह कुएं से अजीब आवाजें सुनीं, जिसके बाद उन्होंने पास जाकर देखा तो बाघ और जंगली सूअर दोनों ही अंदर फंसे हुए थे। यह दृश्य देखकर ग्रामीणों में दहशत फैल गई, लेकिन उन्होंने समझदारी दिखाते हुए तुरंत वन विभाग को सूचना दी।
वन विभाग की टीम सूचना मिलते ही तुरंत मौके पर पहुँची और स्थिति का जायजा लिया। चूंकि कुआँ गहरा था और बाघ के साथ एक जंगली सूअर भी था, इसलिए उसे सुरक्षित बाहर निकालना एक चुनौतीपूर्ण कार्य था।
रेस्क्यू ऑपरेशन: क्रेन और खटिया की मदद से बाघ को निकाला गया
वन विभाग की टीम ने बचाव अभियान को सफल बनाने के लिए क्रेन और खटिया की मदद ली। सबसे पहले, कुएं में एक मजबूत जाल डाला गया ताकि बाघ को सुरक्षित बाहर निकाला जा सके। टीम ने यह भी सुनिश्चित किया कि बाघ को किसी प्रकार की चोट न पहुँचे।
रेस्क्यू ऑपरेशन के मुख्य चरण:
- पहला कदम: कुएं में रोशनी डाली गई ताकि अंदर की स्थिति स्पष्ट हो सके।
- दूसरा कदम: बाघ को शांत करने के लिए आसपास के क्षेत्र को खाली कराया गया।
- तीसरा कदम: क्रेन और खटिया की सहायता से एक जाल कुएं में उतारा गया।
- चौथा कदम: बाघ को सुरक्षित तरीके से बाहर निकाला गया.
- पाँचवाँ कदम: जंगली सूअर को भी कुएं से बाहर निकाला गया, लेकिन तब तक उसकी मौत हो चुकी थी।
इस पूरे अभियान में वन विभाग की टीम को कई घंटे लगे, लेकिन आखिरकार बाघ को सफलतापूर्वक बाहर निकाल लिया गया।
पेंच टाइगर रिज़र्व का महत्वपूर्ण बफ़र ज़ोन
हरदुली गांव, पेंच टाइगर रिज़र्व के बफ़र ज़ोन में आता है, जहां अक्सर बाघ और अन्य जंगली जानवर देखे जाते हैं। इस क्षेत्र में बाघों की गतिविधि अधिक होती है, क्योंकि यहाँ का घना जंगल और प्राकृतिक जलस्रोत इन्हें आकर्षित करते हैं।
वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार, बाघों का गांवों की ओर बढ़ना अब आम बात हो गई है, क्योंकि जंगल में भोजन और पानी की कमी होने के कारण वे शिकार की तलाश में बाहर निकल आते हैं। यही कारण है कि अक्सर ऐसी घटनाएं सामने आती हैं।
वन विभाग की अपील: सावधानी बरतें ग्रामीण
इस घटना के बाद वन विभाग ने ग्रामीणों को विशेष रूप से सावधानी बरतने की सलाह दी है। विभाग के अधिकारियों ने कुछ जरूरी दिशा-निर्देश जारी किए हैं:
- जंगल के पास अंधेरे में अकेले न जाएं।
- खुले कुएं या गड्ढों को ढकने की व्यवस्था करें ताकि कोई जानवर उसमें न गिरे।
- यदि कोई जंगली जानवर गांव के पास दिखे तो तुरंत वन विभाग को सूचित करें।
- बाघों के मूवमेंट को ट्रैक करने के लिए वन विभाग से तालमेल बनाए रखें।
इससे पहले भी हो चुकी हैं ऐसी घटनाएँ
यह पहली बार नहीं है जब बाघ किसी कुएं में गिरा हो। इससे पहले भी मध्य प्रदेश के विभिन्न जिलों में ऐसी घटनाएँ हो चुकी हैं। कुछ प्रमुख घटनाएँ इस प्रकार हैं:
- 2019 में पेंच टाइगर रिज़र्व के पास एक बाघ कुएं में गिर गया था, जिसे सफलतापूर्वक रेस्क्यू किया गया।
- 2021 में कान्हा नेशनल पार्क के पास भी इसी तरह की घटना सामने आई थी, जहाँ एक बाघ को बचाने के लिए वन विभाग को कई घंटे मशक्कत करनी पड़ी थी।
- 2023 में सिवनी जिले में ही एक और बाघ कुएं में गिरा था, जिसे ट्रेंक्विलाइज़र गन की मदद से बेहोश कर सुरक्षित बाहर निकाला गया था।