मध्यप्रदेश में नशे की लत एक गंभीर समस्या बनती जा रही है, और इसे नियंत्रित करने के लिए राज्य सरकार ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। केन्द्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा “नशीली दवाओं की मांग में कमी लाने हेतु राष्ट्रीय कार्ययोजना” (NAPDDR) के तहत राज्य के 31 जिलों में एडिक्शन ट्रीटमेंट फेसलिटिज (ATF) सेन्टर स्थापित किए जाएंगे। यह प्रयास न केवल नशे की लत से पीड़ित लोगों के पुनर्वास के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है, बल्कि नशामुक्त भारत अभियान को भी और सशक्त बनाने का कार्य करेगा।
एडिक्शन ट्रीटमेंट फेसलिटिज: राज्य में नशा मुक्त भारत अभियान का सशक्त कदम
मध्यप्रदेश में सामाजिक न्याय एवं दिव्यांगजन कल्याण मंत्री, श्री नारायण सिंह कुशवाह ने बताया कि नशा मुक्ति के लिए विशेष ध्यान दिए जाने वाले जिलों में इन ATF सेंटरों की स्थापना की जाएगी। इन केन्द्रों का उद्देश्य नशा पीड़ितों को उच्चतम स्तरीय चिकित्सा सेवाएं और पुनर्वास सुविधा प्रदान करना है।
ATF सेंटरों की स्थापना मुख्य रूप से राज्य के सरकारी जिला अस्पतालों में की जाएगी, जहां विशेष वार्ड बनाए जाएंगे। इन वार्डों में 10 बेड नशा पीड़ितों के इलाज के लिए आरक्षित रहेंगे, और यदि आवश्यकता से अधिक बेड उपलब्ध होंगे, तो उनका उपयोग सामान्य मरीजों के लिए भी किया जा सकेगा। यह कदम नशा पीड़ितों के इलाज के लिए एक समर्पित सुविधा की दिशा में महत्वपूर्ण साबित होगा।
एटीएफ सेंटरों की स्थापना की समय सीमा
श्री कुशवाह ने बताया कि प्रदेश में 2 अक्टूबर से 8 अक्टूबर 2024 के बीच अनिवार्य रूप से इन ATF सेन्टर्स की स्थापना की जाएगी। सभी जिलों के जिला चिकित्सालयों को निर्देशित किया गया है कि वे अपने मेडिकल वार्ड में आवश्यक तैयारियों को सुनिश्चित करें और नशा पीड़ितों के लिए विशेष सुविधाओं की व्यवस्था करें। इस पहल का उद्देश्य नशा पीड़ितों को समय पर उपचार प्रदान करना और समाज में पुनः एक स्वस्थ जीवन की ओर उन्हें प्रेरित करना है।
मध्यप्रदेश के 31 जिलों में एटीएफ सेंटरों की स्थापना
प्रदेश के 31 जिलों में इन ATF सेन्टरों की स्थापना की जाएगी, जो नशा मुक्त भारत अभियान को और मजबूती प्रदान करेंगे। ये जिले हैं:
- आगर-मालवा
- अलीराजपुर
- अनुपपूर
- अशोकनगर
- बडवानी
- बैतूल
- बुरहानपुर
- टीकमगढ़
- छतरपुर
- दमोह
- देवास
- धार
- हरदा
- झाबुआ
- कटनी
- खरगौन
- मण्डला
- निवाड़ी
- श्योपुर
- उज्जैन
- राजगढ़
- शहडोल
- शिवपुरी
- सीधी
- सिंगरौली
- नरसिंहपुर
- नर्मदापुरम
- उमरिया
- मऊगंज
- मेहर
- पार्डुना
इन सभी जिलों में नशे के खिलाफ व्यापक जन जागरूकता कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे ताकि नशा मुक्ति अभियान को जनसहभागिता से सशक्त किया जा सके।
एनडीडीटीसी और एम्स नई दिल्ली के साथ साझेदारी
एटीएफ सेंटरों की स्थापना के संबंध में एनडीडीटीसी और एम्स नई दिल्ली को भी प्रस्ताव भेजे गए हैं। इन सेंटरों की स्थापना केंद्र सरकार की गाइडलाइन्स के अंतर्गत की जाएगी। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि नशा पीड़ितों को उच्च गुणवत्ता की चिकित्सा सेवाएं प्रदान की जाएं, जिससे उनकी नशे से मुक्ति की प्रक्रिया में सहायता हो सके।
इस पूरे प्रयास का मुख्य उद्देश्य न केवल नशे की लत से पीड़ित व्यक्तियों को समुचित उपचार प्रदान करना है, बल्कि समाज में नशे के खिलाफ जागरूकता फैलाना भी है। राज्य सरकार इस दिशा में पूरी तत्परता से कार्य कर रही है ताकि समाज को नशा मुक्त बनाने में सफलता प्राप्त हो सके।
नशा मुक्त भारत अभियान का भविष्य
मध्यप्रदेश में नशा मुक्त भारत अभियान को और सशक्त बनाने के लिए यह कदम एक मील का पत्थर साबित होगा। यह पहल न केवल नशा पीड़ितों के लिए पुनर्वास की सुविधा उपलब्ध कराएगी, बल्कि समाज में नशे के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूकता भी फैलाएगी।
प्रदेश सरकार के इस महत्वपूर्ण प्रयास से नशे के खिलाफ एक सशक्त संदेश जाएगा और नशा पीड़ितों को एक नई दिशा मिलेगी।
नशा मुक्ति के इन प्रयासों से पीड़ित व्यक्ति समाज में फिर से एक सकारात्मक भूमिका निभाने के लिए सक्षम हो सकेंगे। मध्यप्रदेश के 31 जिलों में एटीएफ सेन्टरों की स्थापना से स्वास्थ्य सेवाओं में व्यापक सुधार देखने को मिलेगा, जिससे नशे से पीड़ित लोगों को सशक्त पुनर्वास का मार्ग प्राप्त होगा।