सिवनी: फसलो की बेहतर पैदावार हेतु कृषकों को दी समसमयिकी सलाह, कृषि विज्ञान केन्द्र, सिवनी के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डाॅ. शेखर सिंह बघेल, वैज्ञानिक, इंजि. कुमार सोनी द्वारा जिले के ग्राम सिमरिया,पलारी एवं चाॅवडी के कृषको के प्रक्षेत्र में लगी मक्का, सोयाबीन एवं धान की फसल का भ्रमण एवं अवलोेकल किया गया तथा किसान भाईयो को फसलो मे लगे कीट-व्याधियों का निदान बताया गया।
डाॅ. शेखर सिंह बघेल ने बताया कि खरीफ की प्रमुख फसलें मक्का, धान, सोयाबीन, उडद एवं मूंग आदि की खेती सिवनी जिले में बहुतायत में की जाती है सिवनी जिले में किसानों के खेतों पर भ्रमण के दौरान यह देखा गया की लगातार वर्षा के कारण मक्के की फसल की बढत रुक गई है आसमान में लगातार बादलों के छाये रहने एवं अति वर्षा से मक्का की फसलों में जडों में सडन आने के साथ ही उसमें रोग फैलने लगा है.
सोयाबीन की फसल पीली पडने लगी है अतः किसान भाइयों को सलाह दी जाती है मौसम साफ होने पर मक्का सोयाबीन, सब्जी वर्गीय फसलों की बढत को बरकरार रखने के लिए नैनो यूरिया के अलावा अन्य पोषक तत्वों का छिडकाव करे साथ ही खेतों में जल निकासी का उचित प्रबंधन करने की सलाह दी। इसी तरह उन्होने धान की फसल में वर्षा के कारण ज्यादा नुकसान नहीं हुआ है लेकिन आगामी समय में धान की फसल का बेहतर उत्पादन हेतु आवश्यक एवं बची हुई नाइट्रोजन की मात्रा देने की सलाह दी।
सोयाबीन की फसल में पीला मोजेक जो एक विषाणु जनित रोग है वर्तमान में सोयाबीन, उडद की फसल में देखा जा रहा है। यह वायरस बेमीसिया टैबैकी नामक सफेद मक्खी द्वारा फैलता है इस स्थिति में रोगी पौधों को निकाल कर पॉलिथीन या बोरी में एकत्र करें एवं गड्ढा खोदकर उसके अंदर डालकर नष्ट कर दें, सफेद मक्खी के नियंत्रण हेतु थायोमेथाक्सेम 25 प्रतिशत या इमिडाक्लोपिड 17.8 – एसएल या एसिटामिप्रिड की 100 ग्राम मात्रा को 150 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड के मान से छिडकाव कर सकते हैं।
सोयाबीन में सेमीलूपर इल्ली, तंबाकू की इल्ली तथा चने की इल्ली का प्रकोप चल रहा है। इल्ली फूल को खा रही है। जिससे फलियां नहीं लगेंगी। आवश्यकतानुसार इमामेक्टिन बेंजोएट 100 ग्राम अथवा रैनेक्सीपायर 20 प्रतिशत की 60 ग्राम मात्रा प्रति एकड के मान से 150 लीटर पानी में घोलकर छिडकाव कर सकते हैं।
वर्तमान मे मक्का फसल मे फाल आर्मी वर्म कीट का प्रकोप देखा गया, इस कीट के प्रकोप से पत्तियों पर कटे-फटे छिद्र जैसे लक्षण भी दिखाई देते है पुराने लारवा गौब के अन्दर ही रहकर खाते रहते है डाॅ. निखिल सिंह वैज्ञानिक ने बताया कि इस कीट के नियंत्रण के लिए वर्तमान में स्पिनेटोरम 11.7ः एससी 100 मिली या क्लोरईन्ट्रेनेलिप्रोल 18.5 एससी 80 मिली इमामेक्टिन बेंजोएट 100 ग्राम अथवा रैनेकसीपापर 20 प्रतिशत की 60 ग्राम मात्रा या प्रति ऐकड की दर से 150 लीटर पानी में घोल बनाकर छिडकाव करें।
मक्का के कुछ खेतो में टरसिकम लीफ ब्लाईट रोग का प्रकोप देखा गया इस रोग में पौधो की निचली पत्तियों मे धारी नुमा धब्बे दिखाई देते हे। रोग की तीर्वता अधिक होने पर पूर्व मिश्रित फफूंदनाशक अजाक्सीस्ट्रोविन 18.2 प्रतिशत ़ डाईफेनोकोनाजोल 11.4 प्रतिशत डब्लू/डब्लू एस सी का 1 मि.ली. दवा प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिडकाव करें।
कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों ने भ्रमण के दौरान ग्राम सिमरिया के युवा कृषक श्री भगवान दास सनोडिया के प्रक्षेत्र का भ्रमण मे देखा की एक एकड क्षेत्र में प्राकृतिक खेती एवं जैविक खेती को अपनाकर खेती कर रहे हैं श्री भगवान दास सनोडिया ने जानकारी देते हुए बताया कि कृषि विज्ञान केन्द्र के कृषि वैज्ञानिको के सतत संपर्क कर प्राकृतिक खेती एवं जैविक खेती हेतु तकनीकी मार्गदर्शन प्राप्त कर लाभ प्राप्त कर रहे हैं।