CBI कोर्ट के स्पेशल जज ने कहा- अयोध्या विध्वंस के प्रबल साक्ष्य नहीं, लालकृष्ण आडवाणी समेत सभी आरोपित बरी

SHUBHAM SHARMA
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Shubham Sharma – Indian Journalist & Media Personality | Shubham Sharma is a renowned Indian journalist and media personality. He is the Director of Khabar Arena...
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लखनऊ। देश की राजनीतिक दिशा को परिवर्तित कर देने वाले अयोध्या विध्वंस मामले में बुधवार को सीबीआइ की विशेष अदालत का बहुप्रतीक्षित फैसला आ गया। 28 साल से चल रहे इस मुकदमे पर विशेष जज एसके यादव ने अपने कार्यकाल का अंतिम फैसला सुनाते हुए लालकृष्ण आडवाणी, डॉ. मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, महंत नृत्य गोपाल दास, कल्याण सिंह समेत सभी आरोपितों को बरी कर दिया। विशेष जज ने कहा कि तस्वीरों से किसी को आरोपित नहीं ठहराया जा सकता है। अयोध्या विध्वंस पूर्व नियोजित नहीं था। घटना के प्रबल साक्ष्य नही हैं। एलआइयू ने अपनी रिपोर्ट में पहले ही कहा था कि 6 दिसंबर, 1992 को अनहोनी की आशंका है, लेकिन उसकी जांच नहीं की गई।

सीबीआइ कोर्ट के विशेष जज एसके यादव ने अपने फैसले में कहा कि छह दिसंबर, 1992 को अयोध्या में विवादित ढांचा के पीछे से दोपहर 12 बजे पथराव शुरू हुआ। अशोक सिंघल ढांचे को सुरक्षित रखना चाहते थे क्योंकि ढांचे में मूर्तियां थीं। कारसेवकों के दोनों हाथ व्यस्त रखने के लिए जल और फूल लाने के लिए कहा गया था। जल ने अखबारों को साक्ष्य नहीं माना और कहा कि वीडियो कैसेट के सीन भी स्पष्ट नहीं हैं। कैसेट्स को सील नहीं किया गया, फोटोज की नेगेटिव नहीं पेश की गई। ऋतम्बरा और कई अन्य अभियुक्तों के भाषण के टेप को सील नहीं किया गया।

अयोध्या विध्वंस केस का निर्णय 2300 पेज का है। फैसला कुछ ही देर में कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया जायेगा। सीबीआइ व अभियुक्तों के वकीलों ने ही करीब साढ़े आठ सौ पेज की लिखित बहस दाखिल की है। इसके अलावा कोर्ट के सामने 351 गवाह सीबीआइ ने परीक्षित किए व 600 से अधिक दस्तावेज पेश किए।

LIVE Ayodhya Demolition Verdict Update…

विध्वंस केस में फैसला सुनाते हुए जज एसके यादव ने कहा कि वीएचपी नेता अशोक सिंघल के खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं हैं। विवादित ढांचा गिराने की घटना पूर्व नियोजित नहीं थी। ये घटना अचानक हुई थी।

विशेष जज एसके यादव फैसला पढ़ना शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि अयोध्या विध्वंस पूर्व नियोजित नहीं था।

यह आकस्मिक घटना थी। विशेष जज एसके यादव ने कहा कि घटना के प्रबल साक्ष्य नही हैं। जज नें इस दौरान अशोक सिंहल का उल्लेख कई बार किया। उन्होंने सभी आरोपितों को बरी करने का आदेश दिया।

विशेष जज एसके यादव अभी तक अपने चैंबर में हैं। सभी अभियुक्तों के वीकीलों द्वारा बेल बांड भरने की कार्रवाई की जा रही है। इसके बाद विशेष जज एसके यादव कोर्ट रूम पहुंचकर फैसला पढ़ेंगे।

विनय राय, सतीश प्रधान, नृत्य गोपाल दास, साध्वी ऋतम्बरा, उमा भारती, सुधीर कक्कड़ आदि अभियुक्तों की जमानत प्रपत्र तैयार करके उनके अधिवक्ता कोर्ट रूम में आए हैं। दोषी ठहराए जाने और सजा के एलान की स्थिति में तत्काल जमानत पर रिहाई की तैयारी भी है। दोषमुक्त किये जाने की स्थिति में भी धारा 437ए सीआरपीसी के तहत अभियुक्तों को जमानत देनी होगी।

लालकृष्ण आडवाणी, डॉ. मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, महंत नृत्य गोपाल दास, कल्याण सिंह, सतीश प्रधान छोड़कर सभी 26 अभियुक्त अदालत में आ गए हैं। सभी आने वाले अभियुक्तों की सूचना विशेष जज एसके यादव को दी गई। कुछ ही देर में वह कोर्ट रूम में आने वाले हैं।

विशेष जज एसके यादव ने सभी अभियुक्तों के हाजिर होने की जानकारी पेशकार के जरिये मांगी। बचाव पक्ष के वकीलों ने पेशकार को बताया कि आने वाले अभियुक्तों में दो अभी आने वाले हैं।

अयोध्या विध्वंस मामले में सीबीआई की विशेष कोर्ट करीब 26 आरोपित पहुंच गए हैं। कुछ देर में विशेष जज एसके यादव फैसला पढ़कर सुनाएंगे।

अयोध्या विध्वंस मामले में कोर्ट पहुंचे आरोपित रामजी गुप्ता ने कहा कि निर्णय हमारे पक्ष में होगा। मैं शुरू से आंदोलन में शामिल था। यदि दोषी ठहराया जाते हैं तो जेल जाने को तैयार हूं। पहली मेरी गिरफ्तारी हुई थी। उसी फाइल में 49 लोग आ गए।

साक्षी महाराज के वकील प्रशांत सिंह अटल का कहना है कि सीबीआइ सुबूत देने में असफल रही है। 351 गवाह में चार्ज सिद्ध होते हुए नजर नहीं आ रहे हैं। सीबीआइ का गवाह सुबूत नहीं दे पाया है। फैसला हमारे पक्ष में ही आएगा। लोगों ने स्वतः स्फूर्त प्रेरणा से ढांचा तोड़ दिया था, जिसमें किसी का कोई दोष नहीं था

लालकृष्ण आडवाणी, डॉ. मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, महंत नृत्य गोपाल दास कोर्ट में उपस्थित होने के लिए नहीं पहुंचे हैं, जबकि साध्वी ऋतम्भरा, विनय कटियार, राम विलास वेदातीस, धर्मदास, चंपत राय, पवन पाडेय और लल्लू सिंह लखनऊ पहुंच चुके हैं।

लखनऊ स्थित हाई कोर्ट के पुराने परिसर के बाहर सुबह से ही विवादित ढांचा ध्वंस मामले के फैसले को लेकर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था है। सुबह 11 बजे इस मामले में फैसला सुनाए जाने की सूचना है। सीबीआई कोर्ट में जज, वादियों, प्रतिवादी और उनके वकीलों के अलावा केवल कोर्ट स्टाफ जा सकता है।

अरोपितों को इतनी हो सकती है सजा : विधि विशेषज्ञों के अनुसार जिन धाराओं में मुकदमा चला है यदि उनमें आरोपित दोषी करार दिए गए तो भाजपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व उप प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी, डॉ. मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, विनय कटियार, साध्वी रितम्भरा, राम मंदिर तीर्थ ट्रस्ट के चेयरमैन महंत नृत्य गोपाल दास, सचिव चंपत राय बंसल, सतीश प्रधान, राम विलास वेदाती एवं धर्मदास को अधिकतम पांच साल की सजा हो सकती है। इसी तरह यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, भाजपा सांसद साक्षी महाराज व अयोध्या के तत्कालीन डीएम आरएन श्रीवास्तव को दोषी पाए जाने पर अधिकतम तीन साल कैद की सजा सुनाई जा सकती है।

नहीं उपस्थित हो सकेंगे नृत्य गोपाल दास और उमा भारती : कोर्ट ने सभी 32 आरोपितों को फैसले के समय हाजिर रहने का आदेश दिया है। हालांकि कई अभियुक्तों के मेडिकल कारणों से कोर्ट आने की उम्मीद कम है। उमा भारती कोरोना पॉजिटिव हैं तो नृत्य गोपाल दास अस्पताल में भर्ती हैं। आडवाणी व जोशी भी अस्वस्थ चल रहे है। हालांकि, हाई कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अरुण सिन्हा का कहना है कि कोर्ट बिना आरोपितों की उपस्थिति के भी फैसला सुना सकती है। दोषी करार होने पर एनबीडल्यू जारी कर उनकी उपस्थिति सुनिश्चित की जा सकती है।

छह दिसंबर, 1992 को दर्ज हुआ था केस : छह दिसंबर, 1992 को अयोध्या में विवादित ढांचा गिराया गया। इस पर हिंदू और मुसलमान दोनों अपने-अपने दावे करते थे। हिंदू पक्ष का कहना रहा कि अयोध्या में ढांचे का निर्माण मुगल शासक बाबर ने वर्ष 1528 में श्रीराम जन्मभूमि पर कराया था, जबकि मुस्लिम पक्ष का दावा था कि मस्जिद किसी मंदिर को तोड़कर नहीं बनाई गई थी। मंदिर आंदोलन से जुड़े संगठनों के आह्वान पर वहां बड़ी संख्या में कारसेवक जुटे और इस ढांचे को ध्वस्त कर दिया। इस मामले में पहली प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआइआर) उसी दिन रामजन्मभूमि थाने में दर्ज हुई। 40 ज्ञात और लाखों अज्ञात कारसेवकों के खिलाफ आइपीसी की विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज हुआ।

49 आरोपितों में 32 ही जीवित : छह दिसंबर, 1992 को विवादित ढांचा विध्वंस के बाद इस मामले में कुल 49 प्राथमिकी दर्ज हुई थी। सभी में एक साथ विवेचना करके सीबीआइ ने 40 आरोपितों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया था। 11 जनवरी 1996 को पूरक शपथ पत्र दाखिल कर नौ के खिलाफ आरोप तय किए गए थे। 49 आरोपितों में अब कुल 32 ही जीवित हैं।

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Shubham Sharma – Indian Journalist & Media Personality | Shubham Sharma is a renowned Indian journalist and media personality. He is the Director of Khabar Arena Media & Network Pvt. Ltd. and the Founder of Khabar Satta, a leading news website established in 2017. With extensive experience in digital journalism, he has made a significant impact in the Indian media industry.