संसद में चर्चा से इन्कार करने वाले विपक्षी दल सड़क पर लोकतंत्र और संसदीय परंपराओं का हितैषी बता रहे

By SHUBHAM SHARMA

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कोरोना संकट के कारण संसद का मानसून सत्र तय समय से पहले खत्म हो गया, लेकिन यह उल्लेखनीय है कि कम अवधि वाले इस सत्र में करीब दो दर्जन विधेयक पारित किए गए। इनमें कृषि सुधार संबंधी तीन महत्वपूर्ण विधेयकों के साथ श्रम सुधारों को आगे ले जाने वाले विधेयक भी शामिल हैं। इसके अलावा दिवालिया संहिता संबंधी संशोधन विधेयक पारित हुआ और विदेशी चंदे संबंधी विधेयक पर भी मुहर लगी। इतने कम समय में इतनी अधिक संख्या में विधेयक इसीलिए पारित हो सके, क्योंकि संसद में देर रात भी काम हुआ और रविवार के दिन भी। संसदीय कामकाज के प्रति के सांसदों के इस समर्पण की सराहना होनी चाहिए, लेकिन अच्छा होता कि जो महत्वपूर्ण विधेयक पारित हुए उन पर गहन चर्चा भी होती।

भले ही विपक्ष व्यापक चर्चा के बगैर महत्वपूर्ण विधेयकों के पारित होने को लेकर सत्तापक्ष पर दोष मढ़े, लेकिन इस स्थिति के लिए वह खुद भी जिम्मेदार है। यह देखना दयनीय है कि वह अपने नकारात्मक रवैये पर विचार करने के बजाय धरना-प्रदर्शन कर स्वयं को सही साबित करने की कोशिश कर रहा है। विपक्ष और खासकर कांग्रेस को सबसे ज्यादा आपत्ति कृषि सुधारों पर केंद्रित विधेयकों पर है, लेकिन क्या इन विधेयकों के जरिये वही नहीं किया गया, जिसकी वकालत उसने अपने घोषणा पत्र में की थी?

क्या कांग्रेस लोकसभा चुनाव के अवसर पर जारी किए गए अपने घोषणा पत्र को वापस लेने को तैयार है, जिसमें कहा गया था कि यदि वह सत्ता में आई तो एपीएमसी एक्ट को खत्म कर देगी? यदि नहीं तो फिर उसे धरना-प्रदर्शन करने के बजाय यह स्पष्ट करना चाहिए कि आखिर उसके विरोध का औचित्य क्या है? कांग्रेस और कुछ अन्य विपक्षी दल अब यह दम भर रहे हैं कि वे सड़कों पर उतरने के साथ राष्ट्रपति से यह अनुरोध करने जाएंगे कि वे कृषि संबंधी विधेयकों पर हस्ताक्षर न करें। क्या संसदीय नियम-कानून और परंपराएं इसकी अनुमति देती हैं कि संसद से पारित विधेयकों को राष्ट्रपति मंजूरी देने से इन्कार कर दें?

साफ है कि विपक्ष केवल दिखावे की राजनीति कर रहा है। उसने यही काम नागरिकता संशोधन कानून को लेकर भी किया था। तब वह यह चाह रहा था कि संसद से पारित विधेयक इस कारण खारिज कर दिया जाए, क्योंकि वह सड़क पर उतरकर हंगामा कर रहा है। यह सस्ती राजनीति के अलावा और कुछ नहीं कि संसद में चर्चा से इन्कार करने वाले विपक्षी दल संसद के बाहर शोर-शराबा कर खुद को लोकतंत्र और संसदीय परंपराओं का हितैषी बता रहे हैं। यदि राज्यसभा में विपक्ष का संख्याबल पहले जैसा नहीं रहा तो इसका यह मतलब नहीं कि वह अपनी खीझ सड़कों पर निकाले।

SHUBHAM SHARMA

Shubham Sharma is an Indian Journalist and Media personality. He is the Director of the Khabar Arena Media & Network Private Limited , an Indian media conglomerate, and founded Khabar Satta News Website in 2017.