नई दिल्ली। भारतीय शेयर बाजार में तेजी का दौर लगातार जारी है। बुधवार को कारोबार के दौरान बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 46,164 अंक पर पहुंच गया। यह इंट्रा-डे ट्रेडिंग के दौरान अब तक का उच्चतम स्तर है। वहीं, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का सूचकांक निफ्टी भी बुधवार को कारोबार के दौरान अब तक के उच्चतम स्तर 13,517.25 पर पहुंच गया। बाजार में सबसे अधिक तेजी कोटक बैंक, एचडीएफसी बैंक, इंडसइंड बैक, यूपीएल और आईओसी के शेयरों में देखने को मिली। आइए जानते हैं कि भारतीय शेयर बााजर में इस तेजी के बारे में एक्सपर्ट्स की क्या राय है।
अभी बाजार के और ऊपर जाने की उम्मीद
जिस तरह से शेयर बाजार ऊपर जा रहा है, हर निवेशक के मन में यह सवाल उठ रहा है कि बाजार किस स्तर के बाद गिरना शुरू होगा। मिड कैप और स्मॉल कैप में इस समय निवेशक अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। एचडीएफसी सिक्युरिटीज के एग्जिक्यूटिव वीपी वी के शर्मा ने बताया कि साल 2017 में बाजार में गिरावट आने के पहले के उच्च स्तर के समय सिर्फ एक शेयर को छोड़कर सभी शेयरों में उछाल था। वहीं, इस समय केवल 80 फीसद शेयर ही उछाल पर हैं। ऐसे में बाजार के अभी और ऊपर जाने की उम्मीद है।
रुपये में मजबूती से विदेशी निवेशक हो रहे आकर्षित
शर्मा ने बताया कि इस समय विदेशी निवेशक बाजार में अच्छा पैसा निवेश कर रहे हैं, जिसके पीछे एक वजह रुपये का मजबूत होना भी है। उन्होंने कहा कि रुपये में अच्छी स्टेबिलिटी है, जिस कारण विदेशी निवेशक यहां निवेश करने को आकर्षित हो रहे हैं। साथ ही शर्मा ने बताया कि कोरोना वायरस वैक्सीन से जुड़ी सकारात्मक खबरों के साथ ही बाजार भी ऊपर उठ रहा है।
निफ्टी पीई के अधिक होने का बाजार पर असर
इस समय निफ्टी पीई 36 के पार चला गया है और इसके साथ ही अब वह बात पुरानी हो गई है कि जब निफ्टी पीई 28 को पार करता था, तो गिरावट आती थी। सीएनआई रिसर्च के सीएमडी किशोर ओस्तवाल के अनुसार, 36 पीई एक सही आंकड़ा नहीं है। ओस्तवाल ने बताया, ‘हमें ब्लूमबर्ग पीई को देखना चाहिए, जो 33 है और यह भी हालांकि पीछे चल रहा है, लेकिन समेकित नहीं है। समेकित आय पर सही पीई 26.4 है और अगर हम 28 को उचित वैल्यू के रूप में लेते हैं, तो निफ्टी की उचित वैल्यू 14,100 है। इस तरह अभी भी निफ्टी के ऊपर जाने की गुंजाइश है।’
अगले दो महीने तक जारी रहेगी बढ़ोत्तरी
ओस्तवाल ने बताया कि भारतीय शेयर बाजार में अगले 2 महीने में केवल मामूली गिरावट हो सकती है, लेकिन बढ़ोत्तरी जारी रहेगी और शायद बढ़ोत्तरी व्यापक भी हो सकती है। ओस्तवाल का मानना है कि बड़ी गिरावट के रूप में हम केवल 10 फीसद की उम्मीद कर सकते हैं, जो केवल बजट के बाद ही हो सकती है।