बेटी ने निभाया बेटे का धर्म, पिता को दी मुखाग्नि

By SHUBHAM SHARMA

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लखनादौन | वक्त बदल रहा हैं और साथ ही बदल रही हैं समाज की सोच।नगर में परंपराओं से हटकर एक बेटी ने अपने पिता को मुखाग्नि देकर उनका अंतिम संस्कार किया। मृतक का कोई बेटा नहीं था बल्कि दो बेटियां थीं| शमशान पर उस समय लोगों के आंसू छलक पड़े, जब एक बेटी ने श्मशान में रूढ़ीवादी परंपराओं के बंधन को तोड़ते हुए अपने पिता का अंतिम संस्कार किया। उसने बेटा बनकर हर फर्ज को पूरा किया, जिसकी हर किसी ने तारीफ की। अंतिम संस्कार में वह रोती रही, पापा को याद करती रही, लेकिन बेटे की कमी को हर तरह से पूरा किया।

अंतिम संस्कार में पहुंचे लोगों ने कहा कि एक पिता के लिए अंतिम विदाई इससे अच्छी और क्या हो सकती हैं, जब पुरानी परंपरा को तोड़ते हुए बेटियों ने बेटे का फर्ज निभाया। दरअसल, ज्यादातर ऐसी बातें होती हैं कि बेटा कुल का दीपक होता हैं, बेटे के बिना माता-पिता को मुखाग्नि कौन देगा ? लेकिन अब यह बातें अब बीते जमाने की हो गई, यह साबित किया हैं लखनादौन की बेटी ने। गत दिनों ऐसी ही पुरानी कुरीति एक बार फिर टूटी। बेटी प्रिया तिवारी ने पिता को न सिर्फ मुखाग्नि दी बल्कि अंतिम संस्कार की हर वह रस्म निभाई, जिनकी कल्पना कभी एक पुत्र से की जाती थी।

Daughter performed father's funeral | Lakhnadon News | Khabar Satta

जानकारी के अनुसार नगर में देवेंद्र तिवारी का बीमारी के चलते निधन हो गया। मौजूद लोगो ने कहा कि उनके पिता की हार्दिक इच्छा थी कि बेटी उनका अंतिम संस्कार करें और उसने अपने पिता की आखिरी इच्छा पूरी की। समय से साथ सोच बदलने की जरूरत है। आज से समय में बेटा-बेटी बराबर हैं। मृतक देवेंद्र तिवारी की मृत्यु कैंसर से हो गई। देवेन्द्र तिवारी अत्यंत मिलनसार एवं हंसमुख स्वाभाव के धनी थे। उनकी अंतिम यात्रा में समाज के सभी वर्गो ने हिस्सा लेकर परिवार के प्रति सांत्वना प्रकट की। उनकी 2 बेटियां जिसमें बडी़ बेटी प्रियांशी कर्नाटक में अध्ययनरत है जबकि छोटी बेटी प्रिया कक्षा 7 में अध्ययनरत हैं। कोई बेटा नहीं था। देवेंद्र तिवारी की मृत्यु के बाद उनकी दोनों बेटियों ने हिन्दू रीति-रिवाज के साथ अंतिम संस्कार के सारे फर्ज पूरे किए।

दोनों बहनें, बेटे की तरह की गई परवरिश
उसके पिता ने उनको बेटों की तरह पाला है, वो दोनों बहनें ही हैं, उनका कोई भाई नहीं है, उसके पिता ने कभी दोनों बहनों में किसी प्रकार का भेद-भाव नहीं किया, सभी को अच्छी शिक्षा दिला रहें।

बेटियां क्यों नहीं…
आज जमाना बदल गया है, पुरानी कुरीतियां रही हैं कि दाह संस्कार का काम केवल बेटे ही कर सकते हैं। लेकिन अब ऐसा नहीं है, जमाना बदल रहा है। जो काम बेटे कर सकते हैं, उस काम को बेटियां भी कर सकती हैं। आज लड़कीयों का जमाना हैं यह हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं। हमने अपने पिता का अंतिम संस्कार किया है और हम वह सभी कार्य करेंगे, जो एक बेटे को करनी चाहिए। इसके बाद सभी रिश्तेदारों ने एक राय होकर बेटी को ही अंतिम संस्कार के लिए आगे किया और उसे ढांढ़स बंधाया।

SHUBHAM SHARMA

Shubham Sharma is an Indian Journalist and Media personality. He is the Director of the Khabar Arena Media & Network Private Limited , an Indian media conglomerate, and founded Khabar Satta News Website in 2017.

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