ज्येष्ठ पूर्णिमा 3 और 4 जून को: पवित्र स्नान करने, दान करने, बरगद के पेड़ की पूजा करने से मिलेगा विशेष फल

ज्येष्ठ पूर्णिमा

ज्येष्ठ पूर्णिमा हिंदुओं के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण त्योहार है जो तीर्थ स्नान करने, दान करने और इस त्योहार पर उपवास करने के महत्व को बताता है।

इस वर्ष ज्येष्ठ पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ 3 जून, शनिवार को सुबह 11 बजकर 16 मिनट से हो रहा है। इस तिथि का समापन अगले दिन 4 जून दिन रविवार को सुबह 09 बजकर 11 मिनट पर होगा।

ऐसा माना जाता है कि इस त्योहार के दौरान इन पवित्र अनुष्ठानों को करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं, उनके पाप और दोष दूर हो जाते हैं और उन्हें पुण्य का फल मिलता है।

शास्त्रों के अनुसार इस पूर्णिमा पर भगवान शिव-पार्वती, विष्णुजी और बरगद के पेड़ की पूजा करने का विधान है, इसलिए ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है

ज्येष्ठ पूर्णिमा का महत्व

ज्येष्ठ पूर्णिमा पर पवित्र नदियों में स्नान करने के साथ ही इस दिन भगवान सत्यनारायण की कथा सुनने का भी विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन चंद्र देव के साथ मां लक्ष्मी की भी पूजा की जाती है। रात्रि में चन्द्रमा को दूध अर्पित करने से घर में धन धान्य की वृद्धि होती है तथा सभी प्रकार के रोगों से मुक्ति मिलती है।

पवित्र स्नान और दान के लिए शुभ मुहूर्त

पवित्र स्नान और दान 3 जून को सुबह 11.16 बजे से 4 जून को सुबह 9.11 बजे तक किया जा सकता है।