MP Election: विधानसभा चुनाव 2023 के लिए मध्यप्रदेश में कांग्रेस और भाजपा अपने दलों के दावेदारों की सूची तैयार कर रहे हैं और तैयारियाँ मैदान में उतरने के लिए जुट रहे हैं। हालांकि, जिले की आदिवासी सुरक्षित सीट लखनादौन के मतदाताओं का दुर्भाग्य रहा है क्योंकि उनके द्वारा विधानसभा तक पहुंचाए गए उम्मीदवारों ने जिस भाजपा और कांग्रेस के उम्मीदवारों को विधानसभा तक पहुंचाया, उन्होंने इस विधानसभा को विकास की कोई बड़ी सौगात नहीं दिलाई।
कांग्रेस और भाजपा के सूची में से उम्मीदवारों की प्रतिस्पर्धा
पूर्व विधायक भाजपा की शशि पूर्ण ठाकुर से नाराज मतदाताओं ने कांग्रेस की नेता स्व. उर्मिला को सिंह के पुत्र योगेंद्र बाबा का समर्थन किया और उन्हें विधायक चुनाव में सफलता दिलाई। हालांकि, योगेंद्र बाबा भी इस पिछड़े क्षेत्र को विकसित करने में असफल रहे हैं। उनके कार्यकाल के दौरान उन्होंने केवल मध्यप्रदेश और केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क, सिंचाई, और पेयजल की व्यवस्था करने का प्रयास किया है, लेकिन उन्होंने MP Election के लिए उम्मीदवारों के साथ दिलचस्पी नहीं दिखाई।
सड़कों से लेकर ज़िले के विकास तक की मांगें
विधान वर्षों से नागरिकों की मांग है कि लखनादौन को जिला और घंसौर को नगर पंचायत बनाया जाए। बाबा ने इस मांग को बार-बार उठाया है और प्रदेश सरकार को दबाव बनाने का प्रयास किया है, लेकिन इसमें सफलता नहीं मिली है।
MP Election: बाबा की पूर्व कार्यकाल की समीक्षा
योगेंद्र के 10 वर्ष के कार्यकाल की समीक्षा करते हुए यह स्पष्ट होता है कि उन्होंने विधानसभा में विकास, विस्तार, और प्रगति के लिए उपरोक्त मांगों को पूरा करने के लिए किसी भी बड़े आंदोलन का समर्थन नहीं किया। मीडिया में भी उनके द्वारा इन मांगों के पूरा करने के प्रयास की खबरें नहीं आईं।
आदिवासी समस्याएं और उनका समाधान
जिले में आदिवासी समुदाय की समस्याएं बड़ी हैं, और उन्हें उनके अधिकारों की रक्षा के लिए लड़ना पड़ता है। घंसौर के झाबुआ पावर प्लांट से निकल रही राख से उनकी सैकड़ों एकड़ जमीन बंजर हो रही है, और इसे विकास के लिए उपयुक्त रूप से प्रयोग नहीं किया गया है।
MP Election: उपयुक्तता की कमी
योगेंद्र बाबा ने अपने कार्यकाल में उपयुक्तता की कमी के कारण उम्मीदवारों के साथ उचित प्रतिस्पर्धा नहीं की, जिसके कारण नगर निकाय और जनपद पंचायत चुनावों में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा है।
कुल मिलाकर, योगेंद्र बाबा के विधानसभा कार्यकाल में जिले को मुख्यालय नहीं मिल सका और विकास की कोई बड़ी सौगात नहीं दी गई। उनके कार्यकाल के दौरान केवल माध्यप्रदेश और केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में विकास काम किए गए, लेकिन जिले को विकसित करने के लिए उन्होंने उम्मीदवारों के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं की और न उम्मीदवारों के साथ मांगों के पूरा करने के लिए कोई बड़ा आंदोलन किया।