ग्वालियर। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ के चुनावी सभा पर कड़ी शर्तो के फैसले के खिलाफ भाजपा के दो प्रत्याशियों और चुनाव आयोग की विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) पर सुप्रीम कोर्ट में 26 अक्टूबर को सुनवाई होगी। एसएलपी में 20 अक्टूबर के हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई है। जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस दिनेश महेश्वरी, जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच में इस एसएलपी को सूचीबद्ध किया गया है।
चुनाव आयोग ने कहा- हाई कोर्ट का फैसला आयोग के काम में हस्तक्षेप
एसएलपी में चुनाव आयोग ने तर्क दिया है कि हाई कोर्ट का आदेश संविधान के अनुच्छेद 329 के तहत मिले अधिकारों का हनन है और आयोग के कामों में हस्तक्षेप है। ग्वालियर विधानसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी प्रद्युम्न सिंह तोमर व ग्वालियर पूर्व विधानसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी मुन्नालाल गोयल की ओर से कहा गया है कि वर्चुअल सभा का आदेश देकर हाई कोर्ट ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर काम किया है। इस तरह के आदेश देने का अधिकार कोर्ट को नहीं है। यह काम चुनाव आयोग को करना चाहिए।
हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने चुनावी भीड़ को प्रतिबंधित करने के लिए दिया था आदेश
गौरतलब है कि अधिवक्ता आशीष प्रताप सिंह ने हाई कोर्ट में राजनीतिक कार्यक्रमों में हो रही भीड़ को प्रतिबंधित करने के लिए जनहित याचिका दायर की है। हाई कोर्ट ने 20 अक्टूबर को अहम फैसला दिया था। कोर्ट ने राजनीतिक सभाओं के लिए नियम बना दिए। इसके मुताबिक अगर राजनीतिक पार्टी मैदानी सभा करना चाहती है। उसके लिए इजाजत लेते समय बताना होगा कि उस जगह पर वर्चुअल सभा क्यों नहीं हो सकती है। पूरे कारण बताने हुए कलेक्टर को भौतिक सभा के लिए संतुष्ट करना होगा। कलेक्टर को उनके आवेदन पर विचार करने के बाद विस्तृत आदेश जारी करना होगा। मैदानी सभा आयोजित करने की अनुमति के लिए मामला चुनाव आयोग को भेजना होगा। चुनाव आयोग से भौतिक सभा की इजाजत मिलने के बाद सभा की जा सकती है। इसके साथ ही कई और शर्ते भी जोड़ी गई थीं।
Web Title : MP by-election: Case of strict conditions on electoral assembly, hearing in Supreme Court on Election Commission petition tomorrow