नई दिल्ली। आतंकवाद को समर्थन देने में पाकिस्तान की भूमिका के बारे में पूरी दुनिया जानती है। भारत-अमेरिका के बीच ‘टू प्लस टू’ वार्ता के बाद जारी संयुक्त बयान में पाकिस्तान और सीमा पार आतंकवाद के जिक्र को लेकर पाकिस्तान की आपत्ति पर प्रतिक्रिया देते हुए भारत ने यह बात कही। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि जो देश संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित अधिकतम आतंकियों को पनाह देता है, उसे खुद को पीड़ित बताने का प्रयास कभी नहीं करना चाहिए।
उन्होंने भारत-अमेरिका संयुक्त बयान पर पाकिस्तान की प्रतिक्रिया पर कहा, ‘पूरी दुनिया पाकिस्तान की सच्चाई जानती है।’ भारत और अमेरिका ने संयुक्त बयान में सभी रूपों में सीमा पार आतंकवाद की कड़ी निंदा की थी। साथ ही पाकिस्तान से कहा था कि वह यह सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कदम उठाए कि उसके नियंत्रण वाले किसी भी क्षेत्र का इस्तेमाल आतंकी हमलों के लिए नहीं होगा। पाकिस्तान ने संयुक्त बयान में अपने नाम का जिक्र होने पर आपत्ति जताई थी।
पाकिस्तान के दो कबूलनामे
मंत्री फवाद चौधरी से पहले इमरान खान की पार्टी पीएमएल-एन के सांसद ने खुलासा किया था कि भारतीय वायुसेना के पायलट अभिनंदन की रिहाई न होने पर भारत, पाकिस्तान पर हमले के लिए तैयार बैठा था। उन्होंने इस बात को कबूला कि उस वक्त पाकिस्तानी सेना के प्रमुख की हालत खराब थी, उनके हाथ पैर कांप रहे थे। अगर पाकिस्तान अभिनंदन को नहीं छोड़ता तो भारत कभी भी हमला कर सकता था।
भारत की टीका उत्पादन व आपूर्ति क्षमता सभी के लिए होगी मददगार
विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत की कोविड-19 टीके की उत्पादन एवं आपूर्ति क्षमता का उपयोग इस महामारी से लड़ने में समस्त मानव जाति के लिए मददगार साबित होगी। मंत्रालय ने यह भी कहा कि भारत विभिन्न देशों को अपनी ‘कोल्ड चेन’ एवं भंडारण क्षमता बढ़ाने में भी मदद करेगा।विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि इस तरह की कोशिशों के तहत भारत ने अपने पड़ोसी देशों के लिए दो प्रशिक्षण मॉड्यूल आयोजित किए हैं जिनमें करीब 90 स्वास्थ्य विशेषज्ञ एवं वैज्ञानिक भाग लेंगे।
भारत-अमेरिका 2 + 2 मंत्रिस्तरीय वार्ता पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि इस बात की संतुष्टि थी कि साझेदारी हर क्षेत्र में बढ़ी है। हम राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों पर भी उलझे हुए हैं, और दोनों पक्ष बहुपक्षीय प्रारूपों पर काम कर रहे हैं। चर्चा का महत्वपूर्ण केंद्र भारत-प्रशांत क्षेत्र था।