सीतामढ़ी। परिहार विधानसभा सीट सीतामढ़ी जिले के अंतर्गत आती है। इस सीट का गठन 2008 में हुआ। सीट पर विधानसभा चुनावों की शुरुआत के साथ ही बीजेपी का कब्जा रहा है। कहा जा सकता है कि यह सीट दो बार के विधानसभा चुनावों में पार्टी के लिए सुरक्षित गढ़ के तौर पर उभरी है। अब तीसरी बार भाजपा की प्रतिष्ठा यहां दांव पर लगी है। दूसरी बार 2015 में इस सीट पर विधानसभा चुनाव हुआ। इस चुनाव में भी भारतीय जनता पार्टी सत्ता हासिल करने में कामयाब रही थी। भाजपा की गायत्री देवी को भारी जीत मिली थी। भाजपा ने इस बार अपने सीटिंग कैंडिडेट गायत्री देवी को मैदान में उतारा है तो राजद से रितु जायसवाल मैदान में हैं। रितु जायसवाल सोनबरसा की सिंहवाहिनी पंचायत की मुखिया हैं।
वहीं, रालोसपा से पूर्व सांसद स्व. अनवारूल हक के पुत्र अमजद हुसैन अनवर प्रत्याशी हैं, जिससे अल्पसंख्यक मतों का बिखराव हो रहा है। राजद के टिकट के कई दावेदार थे, जिन्हेंं टिकट नहीं मिला तो वे नाराज हैं। जदयू महिला प्रकोष्ठ की जिलाध्यक्ष के पद से इस्तीफा देकर रितु जायसवाल ने सीधे राजद का टिकट हासिल कर लिया। रितु को टिकट देने के लिए राजद ने अपने कद्दावर नेता डॉ. रामचंद्र पूर्वे को मायूस कर दिया। वे यहां से अपनी पत्नी डॉ. रंजना पूर्वे को टिकट चाहते थे। यहां भाजपा-राजद की सीधी लड़ाई को रालोसपा के अमजद हुसैन अनवर व जनाधिकार पार्टी की सरिता यादव आमने-सामने आने से रोक रही हैं। यहां जातीय गोलबंदी एवं अल्पसंख्यक मतों का ध्रुवीकरण साफ दिख रहा है। ऐसे में यहां जीत के लिए वोटों के बिखराव को रोकने की आवश्यकता होगी।
कुल प्रत्याशी : 13
प्रमुख प्रत्याशी
गायत्री देवी (भाजपा)
रितु जायसवाल( राजद)
आजम हुसैन अनवर (रालोसपा)
सरिता यादव (जाप)
2015 में विजेता, उप विजेता और मिले मत :
गायत्री देवी (भाजपा) : 66,388
डॉ. रामचन्द्र पूर्वे (राजद) : 62,371
2010 में विजेता, उपविजेता और मिले मत
राम नरेश यादव (भाजपा) : 32,987
डॉ राम चन्द्र पूर्वे (राजद) : 28,769
कुल वोटर : 317477
पुरुष वोटर : 166977 (52.59 प्रतिशत)
महिला वोटर : 150228 (47.33 प्रतिशत)
ट्रांसजेंडर वोटर : 21 (0.006 प्रतिशत)
जीत का गणित :
यहां सबसे अधिक संख्या यादव मतदाताओं की है। इसके बाद दूसरे नंबर पर मुस्लिम वोटर आते हैं। हालांकि ब्राह्मणों की भूमिका भी यहां अहम है। वैश्य व सूड़ी जाति की बहुलता भी है। इस तरह जातीय गोलबंदी जिधर होगी, उसकी जीत पक्की मानी जा रही।
प्रमुख मुद्दे :
— तटबंधों के दूरूस्त नहीं रहने से हर साल बाढ़ से बड़े पैमाने पर क्षति होती है।
— सिंचाई सुविधा नाकाफीं है। अधिकांश राजकीय नलकूप ठप रहने से क्षेत्र के किसान हलकान हैं।
— कई गांवों में आज भी ढंग के सड़क-नाले नहींं हैं, जिससे बाढ़-बरसात के दिनों में मुश्किल होती है। भारत-नेपाल सीमा पर स्थित उसरैना व मोहनपुर गांव में भी सड़क नहीं है।
— सरकारी विद्यालयों में आधारभूत संरचना मजबूत हुई, लेकिन पठन-पाठन की स्थिति बेहतर नहीं हो सकी।