Communal tension in Haryana: गुड़गांव के सेक्टर 57 में स्थित अंजुमान जामा मस्जिद को सोमवार रात को आग लगा दी गई थी। इस हमले में नायब इमाम की मौत हो गई, जिसके पीछे कई लोगों का संलग्न होने का संदेह है। यह हमला विभाजनवादी संगठनों के द्वारा किया गया था। तनावपूर्ण हादसे के बाद एक नायब इमाम की मौत होने के कारण गुड़गांव में नूह जिले में धार्मिक स्थलों के आस-पास सुरक्षा को मजबूत कर दिया गया है। अब नूह में भी नियमितवाद का पालन करते हुए आवद्धता को बढ़ावा देते हुए सुरक्षा बढ़ाई गई है।
भड़के सांप्रदायिक तनाव (Communal tension) की मूल वजह
भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है, लेकिन अंतर्निहित सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक असमानताओं के कारण धार्मिक विवाद और तनाव कई जगहों पर उभर रहे हैं। सोशल मीडिया इस तनाव को और भी ज्यादा भड़काने में एक महत्वपूर्ण रोल निभा रहा है। ताकि विशेषज्ञों को यह प्रश्न पैदा होता है कि सोशल मीडिया आवद्धता को बढ़ाने में कितना योगदान कर रहा है।
गुड़गांव मस्जिद हमले का खुलासा
गुड़गांव के सेक्टर 57 में स्थित अंजुमान जामा मस्जिद को सोमवार रात को दागे लगा दी गई थी। दुर्भाग्यवश, नायब इमाम की मौत हो गई जिसके पीछे कई लोगों का संलग्न होने का संदेह है। पुलिस ने बताया कि इस हमले के दौरान आरोपियों ने गोलीबारी की। नायब इमाम और एक और व्यक्ति गंभीर रूप से घायल हो गए और उन्हें अस्पताल ले जाया गया। रिपोर्ट के अनुसार, इमाम के शरीर पर छुरे के चोट के निशान भी पाए गए। इस हमले की घटना के बाद पुलिस ने आरोपियों की पहचान की है और जल्द ही कार्रवाई की जाएगी।
नूह में तनाव के चलते आवद्धता का पालन करते हुए सुरक्षा को मजबूत किया गया है
हाल ही के वक्त में हरियाणा के नूह जिले में विभाजनवादी संगठनों द्वारा शोभायात्रा के दौरान तनाव की घटना के बाद स्थानीय प्रशासन ने सुरक्षा को मजबूत करने का फैसला किया है। इस घटना में दो गृहरक्षकों सहित तीन लोगों की मौत हो गई थी। इसके चलते जिले में दंगा के आशंका के कारण आज तक न्यायिक संदर्भ में कोई कानून व्यवस्था लागू नहीं हो पाई है। प्रशासन ने नियमितवाद का पालन करते हुए आवद्धता को बढ़ावा देते हुए नूह जिले में सुरक्षा को मजबूत किया है। इसके चलते जिले के कई क्षेत्रों में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं ताकि दुर्भाग्यवश इंटरनेट का उपयोग गलत उद्देश्यों के लिए न हो सके।
सांप्रदायिक तनाव (Communal tension) पर प्रशासन के कदम
विभाजनवादी और सांप्रदायिक तनाव के फैलाव को रोकने के लिए प्रशासन ने तुरंत कदम उठाए हैं। धार्मिक स्थलों के चारों ओर सुरक्षा को मजबूत करने के साथ-साथ पुलिस और प्रशासन दोनों समुदायों के प्रमुख सदस्यों के साथ बैठकें आयोजित कर रहे हैं जिससे कि शांति बनी रहे। इस समय काबू में रखने के लिए प्रशासन ने गूगल मैप्स के माध्यम से स्थानीय लोगों को जागरूक किया जाता है ताकि वे उन जगहों से दूर रह सकें जिनमें आवद्धता की आशंका हो सकती है।
निष्कर्ष
भारत धर्मनिरपेक्षता के माध्यम से सभी धर्मों को सम्मान देने वाला राष्ट्र है। धार्मिक स्थलों में आवद्धता और भड़काने वाली घटनाओं के समाधान के लिए सरकार और जनता को मिलकर काम करना आवश्यक है। सोशल मीडिया को सजग रहते हुए उसका सही उपयोग करना हम सभी की जिम्मेदारी है। हम सभी को सांप्रदायिक तनाव के विरुद्ध एकजुट होकर इसे मिटाने में योगदान देना चाहिए। धार्मिक संबंधों को समझने, समर्थन करने और समानता का ध्यान रखने से हम सभी एक बेहतर और शांत भविष्य बना सकते हैं।