नई दिल्ली। आरटीआइ कार्यकर्ता साकेत गोखले ने गुरुवार को उच्चतम न्यायालय में एक आवेदन देकर रजिस्ट्री के सामने लंबित अंतरिम जमानत याचिकाओं का विवरण देने का अनुरोध किया है। यह आरटीआइ आवेदन ऐसे वक्त दाखिल किया गया है, जब बांबे हाई कोर्ट द्वारा रिपब्लिक टीवी के प्रधान संपादक अर्नब गोस्वामी की याचिका खारिज किए जाने के दो दिन के भीतर ही उच्चतम न्यायालय ने उन्हें जमानत दे दी।
साकेत गोखले ने उच्चतम न्यायालय के समक्ष लंबित जमानत याचिकाओं और रजिस्ट्री में अंतरिम जमानत याचिका दायर करने तथा उपयुक्त पीठ के सामने सूचीबद्ध होने के बीच लगने वाले औसत समय की जानकारी भी मांगी है। उन्होंने आरोप लगाया कि भीमा कोरेगांव या दिल्ली दंगा मामले में गिरफ्तारी, राजनीतिक बंदियों के मामले या कश्मीर के बंदी प्रत्यक्षीकरण के ढेर सारे मामले हैं, जहां निजी स्वतंत्रता को कुचला गया।
उन्होंने दावा किया कि उच्चतम न्यायालय के समक्ष जब इन मामलों का उल्लेख किया गया, तो याचिकाकर्ताओं को पहले उच्च न्यायालय जाने को कहा गया था। गोखले ने कहा, इन चीजों के बीच आरटीआइ आवेदन दाखिल करने का कारण यह जानना है कि उच्चतम न्यायालय की रजिस्ट्री के सामने इस तरह की कितनी अंतरिम जमानत याचिकाएं लंबित हैं?
हम देख रहे हैं कि कुछ मामलों में त्वरित सुनवाई होती है, वहीं कुछ मामले लंबे समय तक लंबित रहते हैं, लेकिन सूचीबद्ध नहीं हो पाते। यह ज्ञात तथ्य है कि न्यायिक प्रक्रिया धीमी है और ढेर सारे मामलों का पहले से बोझ है। लेकिन, कुछ लोग कतार को लांघ रहे हैं और उनके मामलों में त्वरित सुनवाई होती है।